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Showing posts from March, 2011

कितनी ही बातें, तेरी खुशबू की याद दिलाती है

देख कर उस हसीं पैकर को...

कोस्तोलान्यी का लुटेरा

ज़िन्दगी मैंने गँवा दी यूँ ही...

साया दीवार पे मेरा था, सदा किसकी थी ?

आपके कोट में अब भी एक पेन्सिल रखी है

तेरी याद का एक लम्हा होता हैं ना, बस वह...