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Showing posts from July, 2011

इन आँखों में भरी है सावन की बदरी

वी ओनली सैड गुडबाय विद वर्ड्स...

म्यूजिक स्टूडियो में फ़िर आना, रुकमा

अपूर्व, कोई दिन तो सुकूँ आएगा...

ये बेदिली कल तक न थी...

इस शहर का नाम क्या है ?

यूं भी किसी और सिम्त जाना था.

खुली जो आँख तो...

आरज़ुएँ हज़ार रखते हैं...

प्यास भड़की है सरे शाम...

खुशबू उसका पता है...

अमूर्त यादों से खिला रेत का समंदर

आगाज़ हुआ फ़िर किसी फ़साने का...