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Showing posts from January, 2012

ताम्रपत्र सरीखा है, मोरचंग

उस बज़्म में हम...

घास की बीन

हसरतों के बूमरेंग

शाम के टुकड़े

मर जाने से बहुत दूर

डिस्क्लेमर : कहना गलत गलत