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Showing posts from November, 2017

नष्ट होती चीज़ों के प्रति

फूल को चूमकर उड़ जाना

अचम्भे की बरत की तरह

प्रेम करने के ख़याल की ख़ब्त

यादों की सुरंगें

असल में कुछ नहीं हूँ मैं

ख़यालों के अंडरपास

बस एक बार के लिए

हम फिर मिलते हैं

कि कहां तक

बहुत दिनों बाद अनायास