Posts

Showing posts from September, 2018

नई दिल्ली एक दीवार पर ऊंट

जहां से आगे पटरी कहीं नहीं जाती

अकेलेपन की बारूदी सुरंगें

और मुमकिन है तेरा ज़िक्र कर दे ख़ुदा भी

शब्द और रेखाओं से जनवाणी रचने वाला आदमी - रविकुमार स्वर्णकार

कालू जी खत्री साकीन नेहरू नगर बाड़मेर

आदमी से बेहतर

बहुत दूर चले जाना।