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Showing posts from April, 2020

खिड़की में बंधी चीज़ें

कोई कठिन काम, जैसे ज़िन्दगी

पता नहीं कैसे।

वैसा दिखता होगा प्रेम

पीलेपन पर बची स्याही

पत्तों के चरमराने की आवाज़

कोई तो हल होगा

विषाणु से बड़ी नफ़रतें

सड़कें सूनी है

विदूषक चिकित्सक।