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Showing posts from October, 2023

अलाव की रौशनी में

मुझे तुम्हारी हंसी पसन्द है  हंसी किसे पसन्द नहीं होती।  तुम में हर वो बात है  कि मैं पानी की तरह तुम पर गिरूं  और भाप की तरह उड़ जाऊं।  मगर हम एक शोरगर के बनाये  आसमानी फूल हैं  बारूद एक बार सुलगेगा और बुझ जाएगा।  इत्ती सी बात है। --- रेगिस्तान की पगडंडियों पर बहके बहके चलते हुए औचक तेज़ भागने लगे। शहरों को चीर कर गुज़रती रेलगाड़ी में सवार होकर दूर से दूर होते गए।  अजनबी रास्तों पर नई हथेली थामे, कभी बातों बातों में किसी पुरानी बात पर संजीदा होते। फिर से किसी के करीब नहीं होंगे का खुद याद दिलाते हुए अचानक मुस्कराने लगते। कि तुमसे नहीं मिले होते तो ये बातें किस से सुनते। इसलिए फिर फिर नए लोगों से मिलना।  फिर से दावत पर बुलाना मोहब्बत को और सटकर चलना। ठण्डी रात में अलाव जलाकर बैठना। देखना कि आग की लपटों की रौशनी में वह कितना सुंदर दिखता है।  शोरगर, तुम्हारा मन है। उसे बुझने मत देना। हर बार नए रंग का बनना और नए तरीके से बिखरना।  शुक्रिया।

कुछ देर कुछ न सोचें

शरद पूर्णिमा आने को है। उसके साथ हेमंत ऋतु आएगी। सुबह का समय है। मैं खुले आंगन में बैठा हूं। बाखल में पुष्पों की सुवास है। दक्षिणी हवा के संग मादकता बिखर रही है। बहुत शांति है। गली में भी जाने किस कारण शोर का कारखाना बंद है।  अचानक याद आता है कि अपना स्वास्थ्य अच्छा हो तो सब भला लगता है। महीने भर से कफ और खांसी से कठिनाई खड़ी कर रखी थी। दिन रात एक से हो गए थे। थकान भरा बदन लिए कुछ काम करो कुछ सांस लो। जिस हाल में सोना उसी में जाग जाना। अजीब चक्र बन गया था। आज स्वास्थ्य भला लग रहा। अक्टूबर जब बीतने को होगा हल्की गुलाबी ठंड प्रारंभ हो जाएगी। अगले दो महीने में शिशिर ऋतु का आगमन होगा। तब ठंड होगी। गर्म कपड़े होंगे। इसी जगह बैठे हुए धूप की प्रतीक्षा होगी किंतु दोपहर तक थोड़ी सी कच्ची धूप मिलेगी।  हम अक्सर अकारण उलझ जाते हैं। समझते हैं कि ये आवश्यक कार्य है, इसे पूर्ण करके ही आराम करेंगे। वास्तव में ये एक जटिल फंदा होता है, जिसमें अपने दिन रात फंसा लेते हैं। जीवन है तो काम बने रहेंगे। सब काम कभी एक साथ पूरे नहीं किए जाएंगे। हर काम के बाद एक नया नया काम आ खड़ा होगा।  इसलिए थोड़ा...