"लोहो तेरस सौ सिंटीग्रेड माथे प्रज्वलित हुवे, हाइड्रोजन सवा पांच सौ माथे हुया करे पण आदमी रे दिमाग रो कोई भरोसो नी है। वो किणी भी बात माथे तप सके।" जैकिसन भा ने इतना कहकर स्टील की जर्दे वाली डिबिया निकाली। भा के डिबिया निकालते ही सब दुकानदार चौंके। इत्ती गर्मी मे जर्दो ठीक नी है। पीले जर्दे में सफेद चूना मिलाने के लिए भा ने दूसरी तरफ का ढक्कन खोला तो लू का एक भभका उठा। आग ही आग का आभास होने लगा। लोगों ने एक साथ कहा "भा"। माने इस गर्मी को और क्यों बढ़ा रहे हो। लोग सही थे। भा की डिबिया के जर्दे से निकली गर्मी आला अधिकारियों तक भी पहुंच गई। बाड़मेर के अठ्ठाईस हज़ार किलोमीटर में आग ही आग का होना खतरनाक हो गया था। अधिकारियों ने पसीना पौंछने और बटन खोलने बंद करके तुरंत अग्निशमन को फ़ोन लगाया। अग्निशमन वालों ने कहा "हम तो आग बुझाने के ही एक्सपर्ट हैं। आप आदेश कीजिए" भा ने जर्दे को दांत और होंठ के बीच दबाया भी नहीं था कि अग्निशमन की गाड़ियों के सायरन बजने लगे। बाड़मेर के स्टेशन रोड पर लाल ट्रक की कतार आ गई। मझ गर्मी में सड़को पर पानी बहने लगा। अठ्ठाईस हज़ार कि...
[रेगिस्तान के एक आम आदमी की डायरी]