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दोस्त ज़ोर्ज, एक मास्टर कवि ने तुम्हारी याद दिला दी

स्त्री विमर्श की किंवदंती पाकिस्तान चली गयी, तनहा कवि अब दीवारों से सर फोड़ता होगा