उदास सन्नाटे में अचानक आई याद की तरह दोपहर पर उतरती किसी पुरानी सांझ की तरह। वो जो मिला नहीं, उसके बिछड़ने की बात। कैसा मौसम था, याद नहीं रहा। ज़रा ठंडी हवा थी। ज़रा से ज़रा सी ज़्यादा एक बात थी। जिस हाथ ने उसके हाथ को छुआ था, उसी हाथ को कुछ देर देखता रहा। उसके साथ होने से अचानक तन्हा हो जाने पर तलब जागी। एक गहरी हूक सी तलब। गले के सूखेपन से टकराकर उसके नाम का पहला अक्षर गले में ही ठिठक गया। सड़क पर भीड़ थी लेकिन जाने क्यों लगा कि सबकुछ वही बुहार कर अपने साथ ले गया, एक वह पीछे छूट गया है। ऑटो वाले कहीं पहुंचा देना चाहते थे लेकिन उसे जहां जाना था, वह रास्ता उसने पूछा न था। इसलिए वह आवाज़ों को अनसुना करते हुए आगे बढ़ गया। बेरिकेड्स से थोड़ा आगे महानगर की चौड़ी सड़क के किनारे खड़े सब लोग कहीं पहुंच जाना चाहते थे। वह कहां जा सकता था? इसलिए एक खोखे की ओर बढ़ गया। अल्ट्रा माइल्ड है? खोखे वाला ज़रा सा नीचे झुका। उसने एक सिगरेट आगे बढ़ा दी। एक और कहते हुए तीली सुलगा ली। वह खुद को याद दिलाता रहा कि तीली को फेंक भी देना है। अंदर बाहर हर जगह एक दाह से भर जाना अच्छा नहीं है। कहीं दूर से आवाज़ें आने लगी। खोखे वाल