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Showing posts from January, 2011

ये कैसा वादा था कि...

विलायती बबूल

ऐसी भीगी सुहानी रात में

मुख़्तसर ये कहना...

मेहरुन्निसा ख़ाला, आप बहुत अच्छा लिखती हैं...

थोड़ी सी शराब और बहुत सा सुकून बरसे...