इस दुनिया में
ये कितनी अच्छी बात है
कि जिसे हम चाहते हैं,
उसे आवाज़ भी नहीं दे सकते।
वरना एक रोज़ सब ख़त्म हो जाता।
• * *
अगर हमें न मिलते घटिया अध्यापक
तो कोर्स की किताबों के सिवा कुछ नहीं सीख सकते थे हम।
• * *
कभी कभी हम सोचते हैं
कि यही सब मुमकिन है।
वो सोचता क्या, चाहता क्या और करता क्या है
ये कभी सोचा नहीं जा सकता।
• * *
कुछ फूल बैंगनी
और संकेत विदा का।
इतनी भर ज़िन्दगी।
• * *
ये कितनी अच्छी बात है
कि जिसे हम चाहते हैं,
उसे आवाज़ भी नहीं दे सकते।
वरना एक रोज़ सब ख़त्म हो जाता।
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अगर हमें न मिलते घटिया अध्यापक
तो कोर्स की किताबों के सिवा कुछ नहीं सीख सकते थे हम।
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कभी कभी हम सोचते हैं
कि यही सब मुमकिन है।
वो सोचता क्या, चाहता क्या और करता क्या है
ये कभी सोचा नहीं जा सकता।
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कुछ फूल बैंगनी
और संकेत विदा का।
इतनी भर ज़िन्दगी।
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