Posts

Showing posts from January, 2020

क्योंकि ऐसा ही है

Image
ऐसा ही होता है। सोचना है तो अभी की नवीन बात से मत सोचो। पीछे वहां तक झांको, जहां तक स्मृति साथ देती है। वहीं से आरम्भ करो। धीमे मद्धम अनगिनत चेहरे याद आएंगे। स्पष्ट होने लगेगा कि वे चेहरे न थे, मुखौटे थे। उन मुखौटों के स्थिर मुंह से निकली बातें याद आते ही परिणाम भी याद आएंगे। उन बातों के भूत और भविष्य का सत्य सम्मुख आ खड़ा होगा। पुनः समझोगे कि वे बातें नहीं थी। वे प्रयोजन थे। तुम्हारे भीतर झांकने के और तुम्हारे भीतर कुछ बो सकने के प्रयोजन। जब भी दृश्य धुंधला जाए। मन दिग्भ्रमित हो उठे। विचार उथल पुथल से भर जाएं तब दो क़दम पीछे हटकर देखना। सम्भव है, उतनी उलझन न रहे जितनी अब है। अभी तुम जिस बात से आहत हो वह मामूली है। अभी तुमने देखा ही क्या है? * * * तस्वीर में नन्हे दोस्त पाठक साब कागज़ की थैली में अमरूद लिए हैं। एक अमरूद थैली से बाहर गिर जाता है। मैं अपने कोट के अगले बटन खोलकर नीचे बैठकर अमरूद उठा लेता हूँ। "हम इसे वापस थैली में डाल देते हैं।" पाठक जी हतप्रभ हैं। कि थैली का मुंह उन्होंने पकड़ा हुआ है, अब अमरूद वापस कैसे डाला जाए। मैं कहता हूँ- "ये अमरूद साहब

अख़बार का मुखपृष्ठ

Image
निर्भया केस में अपराधियों को मृत्युदंड का वारंट जारी। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा है कि इसमें सात साल लग गए। ये तंत्र बदलना चाहिए। अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की तस्वीर लगी है। वे जेएनयू में आंदोलनरत छात्रों का समर्थन करने आई हैं। जेएनयू में हुई हिंसा के मामले में छात्र नेताओं के विरुद्ध वाद दायर किये गए हैं जबकि हमलावरों में से कोई भी नहीं पकड़ा गया है। प्राध्यापक सुचरिता सेन ने हत्या के प्रयास की धारा में एफआईआर लिखने की मांग की है। पुलिस ने घायल आइशी घोष, साकेत मून सहित अट्ठारह छात्रों के विरुद्ध तोड़फोड़ और राजकार्य में बाधा पहुंचाने जैसी धाराओं में मुकदमा कर लिया है। पिंकी चौधरी ने जेएनयू हमले की ज़िम्मेदारी उठाई है और कहा है कि इसी तरह सबके साथ किया जाएगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश दिया है कि वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पुलिस द्वारा मानवाधिकारों के हनन की जांच कर रिपोर्ट पेश करे। भारत सरकार को आशंका है कि वर्ष 2019-20 की भारत की जीडीपी माने सकल घरेलू उत्पाद का आंकड़ा पिछले बरस के 6.8 की जगह गिरकर अगली तिमाही तक 5 प्रतिशत के नीचे

बेंत मेरी नौकरी बेच खाई बंदूक

Image
बेंत मारी नौकरी बेच खाई बंदूक। इत्ती गरज कभी न रखी कि किसी व्यक्ति या वस्तु के बिना जीवन न चले। काम अटक जाए, ये अलग बात है। काम अटकेगा तो उदास बंदर की तरह किसी मुंडेर पर बैठ जाएंगे। उलटे लटके रहेंगे दुछत्ती के मकड़े की तरह। घोंघे की तरह याद के सफ़र पर निकल जाएंगे। तकलीफ़ पर अजगर की तरह कुंडली मार कर पड़े रहेंगे। इस सबसे भी आराम न आया तो भालू की तरह शीतनिंद्रा में चले जायेंगे। महीनों बाद जाग कर देखेंगे कि दुनिया का क्या बना। मेरा साहित्य संसार इतना ही है कि दोस्तो से मिलो। गप करो। हुक्का खींचो। प्याले भरो। कभी मन हो तो जैसी दुनिया दिख रही, समझ आ रही। वैसी ही कविता, कहानी, यात्रा के ढब में लिख दो। दोस्तो के पास किताब पड़ी होगी तो दिल खुश हो जाएगा कि थोड़ा सा मैं भी उनके पास पन्नों और शब्दों के सूरत में बचा हुआ हूँ। हेमंत मित्र हैं। प्यार से उल्फ़त नाम दिल में सेव हो रखा है। उन्हीं के साथ बीती शामों में जब अश्विनी शामिल हो गए तो दुनियादारी को क़हक़हों का धुआँ करके उड़ा दिया। कोई बात समझ न आई, कोई काम न सधा, कोई कठिनाई पास आ बैठी तो कहा, छोड़ देंगे नौकरी और बेच देंगे बंदूक।  इस किताब मे