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Showing posts from November, 2020

आवाज़ दूँ या नहीं

रोज़ ज़िन्दगी के कुछ ड्राफ्ट मिट जाते हैं मगर याद में थोड़े से बचे रह जाते हैं। कोई पत्ता शाख से गिरता है तो शायद नहीं सोचता कि ये गिरना किसी ड्राफ्ट का हिस्सा था। ऐसे ही शाख पर बने रहना भी शायद प्लांड न था। तो क्या ज़िन्दगी बिना किसी प्लान के मिलती है। सुबह आँख खुलने तक स्वप्न टूट चुके होते हैं मगर थोड़े से बचे रह जाते हैं। कभी-कभी थोड़े से कुछ ज़्यादा। एक तरतीब और सिलसिले से उनका ड्राफ्ट बन जाता है। बीत चुके स्वप्न का ड्राफ्ट। सूनी सड़क, खुले आहाते और नज़र के सामने लगभग बियाबान कैनवास को देखते हुए ख़याल आता है कि किसी सब्ज़े से चला आ रहा हूँ। अब तक पीले सघन पतझड़ तक पहुंच चुका हूँ। मगर। कितने सारे ड्राफ्ट अब भी बचे हुए हैं। मेरी पीठ के पीछे बैठी एक चिड़िया सोचती है कि आवाज़ दूँ या नहीं। वह औचक सामने आकर आवाज़ देती है। इसके बाद दिखती है लेकिन कभी कंधे पर नहीं बैठती। वह अब भी है मगर समय एक इरेजर की तरह ड्राफ्ट पर घूम रहा है। जाने क्यों लगता है कि वह जिस तरह औचक सामने आई थी उसी तरह कभी औचक हम घंटो साथ बैठे रहेंगे। विदेशी बबूल की पत्तियां बरसात की तरह झड़ती है। मैं अपनी बांह पर पड़ी पत्तियां नहीं झटकता।

किस तरह, किस के प्रेम में पड़े

मैंने कहा इस बार हम दोनों एक जैसे दो जैकेट खरीदेंगे। तुमने ऐसे देखा जैसे हमेशा के लिए हम एक होने वाले हैं। * * * जैकेट सोफ़े पर ऐसे पड़ा है जैसे तुम अभी-अभी इसे उतार कर कहीं गए हो। वही जैकेट जो हमको एक साथ खरीदना था मगर अभी हम एक साथ बाज़ार नहीं जा पाए हैं। * * * अचानक रम की कुछ बूंदें जैकेट पर गिर पड़ी तो याद आया। कि वे तुम्हारे होंठ थे और वह एक ऐसी जगह थी, जहां बहुत लोग थे। * * * तुमने अनेक वाकये बताये कि किस तरह किस के प्रेम में पड़े। मुझे कभी न लगा कि तुम्हारा प्रेम कोई उतरी हुई शै है। एक पुराने जैकेट से मुझे दूजों की ख़ुशबू कभी नहीं आई। * * * महीने भर बाद हम सीपी के गलियारों में घूम रहे होते। मगर सब बदल गया है अब खिड़की से सूनी सड़कें दिखती हैं कि अब कौन जाता होगा जैकेट खरीदने? * * * कोई काला जादू नहीं होता। बस कुछ एक बार हम मेट्रो स्टेशन की किसी खिड़की के पास खड़े सोचते हैं कि सीढियां उतर जाएं। कुछ एक बार सोचते हैं कि सिगरेट बुझा दें और देख आएं कि कहीं तुम इंतज़ार में तो नहीं खड़े। * * * मुझे नहीं पता कि दूर होकर कैसे जिया जाता है। मैंने कभी-कभी ये महसूस किया है कि हम कहीं भी होते मगर एक