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Showing posts from December, 2019

वह एक अफ़ीम ही था।

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उसके इशारे में जाने क्या सम्मोहन था कि मैंने अपनी गाड़ी रोक दी। उसके थैले में पोस्त का चूरा भरा है। उसने अपनी बंडी में अफ़ीम छुपा रखी है। वह कुछ चुराकर भाग रहा है। उसकी रेलगाड़ी छूट रही है। उसको बस अड्डे तक जाना है। कोई प्रिय अस्पताल में उसका इंतज़ार कर रहा है। वह ख़ुद अस्वस्थ है। उसके हाथ से इशारा करने के पीछे अनेक वजहों में से कोई भी वजह हो सकती थी। उस वजह का मैं भागीदार हो चुका था। वह नशीले पदार्थ लिए होता तो मैं अपने को निर्दोष साबित करने के लिए भटकता रहता। उसे किसी ज़रूरी काम में कहीं पहुंचना होता तो वह अपनी ज़रूरत में मुझे कैसे याद रख पाता। उसको क्या याद रहता कि शुक्रिया कहना चाहिये। वह मेरे पास की सीट पर बैठा था। उसने अपनी एक उलझन कही। पूछा कि इसका क्या हो सकता है। मैंने उसको रास्ता बताया। ऐसा करने से तुम्हारी मुश्किल आसान हो जाएगी। मैंने एक फ़ोन लगाया। उसके बारे में बात की। मेरे कहने से उसे आसानी हो गयी। इतना होते ही उसने एक नई समस्या मेरे सामने रख दी। मैंने कहा घबराओ मत। इस पर अधिक न सोचो। वह मेरी ओर इस तरह देखने लगा कि जैसे मैं कुछ करूँ। मैंने उसे कागज़ के छो

पानी के रंगों वाला पेड़

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पानी के रंग बरतने वाले कलाकारों के चित्रों में कुछ एक जैसा होता ही है। उनकी डायरी में ये पेड़ भी अक्सर मिल जाता है। यूं तो दुनिया भर में गिरती हुई स्वर्णिम पत्तियों से ही पतझड़ सुंदर दिखता है किन्तु पेड़ पर एक साथ लगी सुनहरी, पीली और हरी पत्तियां इसे मोहक बनाती हैं। ये मुझे अपनी ओर खींचता रहता है। पेड़ के साथ तस्वीर में आभा है।

तुम भय के बारे में क्या जानते हो?

माले कैम्प में एक रेस्तरां के आगे गुज़रते हुए ज्यूमा ने देखा लोग खा-पी रहे थे। रेस्तरां के भीतर सिगरेट का धुआँ था। वह एक खिड़की में रखे केक देखने लगा तभी उसके कंधे को किसी ने थपथपाया। ज्यूमा ने मुड़कर देखा पुलिसवाला था। पुलिस वाले को देखते ही अपनी जेब से पास निकाला और आगे बढ़ा दिया। पुलिस वाले ने कहा "तुम यहाँ क्या कर रहे हो। घर जाओ अंगीठी के पास बैठो और बीयर का मज़ा लो" इस बात से ज्यूमा को समझ आता है कि पुलिसवाला उस पर तंज कस रहा है। वह पूछता है "क्या आप मुझे जेल भेजने वाले हैं" ज्यूमा वहां से चलकर ऐलोफ़ स्ट्रीट होता हुआ शहर के चौक तक पहुंचता है। उसका ध्यान गली में एक छत की ओर जाता है। वहाँ छत पर कोई भाग रहा है। भागता हुआ आदमी अचानक छत से फिसल कर लटक जाता है। उस आदमी के पीछे पुलिस वाले हैं। आदमी का एक हाथ छूट जाता है। दर्शकों को पुलिस वाले धमका कर दूर कर देते हैं। तभी वह आदमी नीचे सड़क पर गिर जाता है। सब उसकी ओर दौड़ते हैं। भीड़ को हटाते हुए पुलिस वाले आते हैं। लोग हटते हैं लेकिन एक आदमी उसके पास बैठा रहता है। पुलिस वाले पूछते हैं "तुम क्यों नही

एक लिफाफे में रेत

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प्रेम की हड़बड़ी में वो स्नो शूज पहने हुये रेगिस्तान चली आई थी। वापसी में रेत उसके पीछे झरती रही। कार के पायदान पर, हवाई अड्डे के प्रतीक्षालय में, हवाई जहाज और बर्फ के देश की सड़कों तक ज़रा-ज़रा सी बिखर गयी। थोड़ी सी रेत उसके मन में बची थी। उसके मन में जो रेत बसी हुई थी वह बिखर न सकी। शिकवे बनकर बार बार उठती थी। उसके सामने अंधेरा छा जाता था। सांस लेने में तकलीफ होने लगती थी। बेचैनी में कहीं भाग जाना चाहती थी लेकिन रास्ता न सूझता था। बारीक रेत का स्याह पर्दा उसे डराता रहता था। उस रेत को उसने एक लिफाफे में रखकर मुझे भेज दिया। मैंने उसे केवल एक ही बार पढ़ा था। उसे पढ़ा नहीं जा सकता था। उसमें मेरे लिए कोसने थे। बेचैनी थी। मैं लिफाफे को कहीं रखकर भूल जाना चाहता था। और मैंने बड़ी भूल की। उस लिफाफे को मन के अंदर रख लिया। "तुमसे मिलते ही मैं बर्बाद हो गयी। मैं अपने बच्चों से, पति से, घरवालों से, पेंटिंग से, सोचने से, समझने से और हर उस बात से बेगानी हो गयी, जो मेरी दुनिया थी। जहां चाहे हरदम खुशियों के फूल न झरते थे मगर शांति थी। तुम्हारे पास से लौटकर छोटी बेटी को ग