Posts

Showing posts from November, 2012

निर्मल रेत की चादर पर

तुम्हारा नाम, किसी तितली की तरह

रात का एक बजा है

किसी हादसे की तरह

जीने के लिए

कहाँ है वो माफ़ीनामा

एक लंबी और बेवजह की बात : हमारी दिल्ली

सब अँधेरों के एकांत से परे