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Showing posts from May, 2011

आग के पायदानों पर बैठी स्वर्ण भस्म

औरत की जगह

तेरी ही तरह सोचता हूँ कि गुमख़याल हूँ.

वह एक भयंकर ईश्वर था.

टिमटिमाती हुई रोशनियों में

तेरे खाके भी मेरे पास नहीं रह सकते...

जली तो बुझी ना, कसम से कोयला हो गयी हाँ...