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Showing posts from September, 2014

फेसबुक ; क्व गच्छति

चुप्पी की एक गिरह

उनींदे रहस्य

मैं रुकती रही हर बार...

न मिला जाँ के सिवा यार ए वफ़ादार

मानवता का इकलौता धागा

लू-गंध

ठन्डे गलियारों में कमसिन लड़कियां

अतीत की उबड़-खाबड़ सतह पर

कितने शीरीं हैं तेरे लब कि...