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Showing posts from 2015

कितनी तहें हैं, और रंग कितने हैं

तलवे चाटते लोगों की स्मृति में

बड़ी तकलीफ़ की छोटी कहानियां

तुम जो मिलोगे इस बार तो

तेरे बाद की रह जाणा

ढब सब उलटे पड़े हो जहां

स्थायी दुःख से कैसलिंग

नासमझी के टूटे धागों में

सुनो [जा]ना, व्यर्थ अभिमाना- 2

कहाँ है तुम्हारी प्रेमिका

सुपना ऐ सुन

जून के सात दिन-रात

कॉलर पर टँगा सफ़ेद ईयरफोन

ओ मुसाफिर ! ये बस पीले और टूटे पत्ते भर हैं

न ऊब न प्रतीक्षा

तुम मेरी फेवरेट ड्रग हो।