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एक उड़ने वाला गाँव

आग के पायदानों पर बैठी स्वर्ण भस्म

औरत की जगह

वह एक भयंकर ईश्वर था.

सब अक्षर धुल जायेंगे...

कितनी ही बातें, तेरी खुशबू की याद दिलाती है

देख कर उस हसीं पैकर को...

कोस्तोलान्यी का लुटेरा

साया दीवार पे मेरा था, सदा किसकी थी ?