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Showing posts from March, 2014

ताबीर है जिसकी हसरत ओ ग़म

पपहिया प्यारा रे

मौत से पहले आदमी ग़म से निजात पाए क्यों.

दो नाम है सिर्फ इस दुनिया में

खिले फूल शाखों पे नए

कि मैं और तूँ रह गए हम नहीं

राय कॉलोनी का चिड़ीमार

नरक का प्रवेश द्वार

ट्यूशन की नदी के इस और उस पार

पहली मुलाकात का यादगार स्थल

जो अपने आप से रूठा रहे

जहाँ हम कभी पहुँच न सके

घोड़े की आँखों में आंसू

कुछ सबक पड़ोसी से भी लेने चाहिए

रेगिस्तान से किताबों के मेले तक