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Showing posts from 2011

नी मुईये, मैला मन मेरा...

पीले रंग का बैगी कमीज़ : पेट्रिसिया लोरेन्ज

मेहरबानों के घर के बाहर

सोच के उनको याद आता है...

किस्से ज़ेहन में

अनुपस्थिति

चैन भी है कुछ खोया खोया...

कीकर के पेड़ों पर सफ़ेद कांटे

लड़की, जिसकी मैंने हत्या की

जबकि ऐसी कोई वजह नहीं...

दूर से लगता हूँ सही सलामत

होश कहां होता है, इज़्तराब में...

चाँदनी रात में

जबकि वो उस शहर में नहीं रहती...

आखिर थक कर सो जाओगे

ये मग़रिब से आती हवा न थी...

रात की स्याही से भीगी हवा

फ़िर भी हेप्पी बर्थडे...

अग्नि के आचमन से

किसी ज़ीने पर पुराने दिन बैठे होते...

क़ैदख़ाने में सुंदर पीठ वाली लड़की

मरक़दों पे तो चिरागां है शब-ओ-रोज़

आज की एक रात रुक जाओ...

कोई भुला भी न सके...

ऐ ज़िन्दगी गले लगा ले

ये सूरत बदलनी चाहिए...