Posts

Showing posts from March, 2010

एक लम्हे के बाद

ना-खुदा मैं शायद तेरा न था

किसी तरह तो जमे बज़्म

इंसान करीने के

दोस्त, उस पार भी कोई हसीन सूरज नहीं खिला हुआ है...

कमबख्त नशीली गालियां