कई बार हमें लगता है कि किसी एक चीज़ के कारण हमारे सब काम रुके पड़े हैं. कई बार उस चीज़ के न होने से मालूम होता है कि ऐसा नहीं था. क्या इसी तरह हमें ये समझना सोचना नहीं चाहिए कि जो कारण हमें सामने दिख रहे हैं वे इकलौते कारण नहीं है. इसलिए सोचिये, योजना बनाइये और धैर्य पूर्वक काम करते जाइए. ये कुछ रोज़ की डायरी है. तारीख़ें मुझे याद दिलाएगी कि ये दिन कैसे बीते थे. June 8 at 11:41pm · आवाज़ का दरिया सूख जाता है उड़ जाती है छुअन की ज़मीन। मगर शैतान नहीं मरता, और न बुझती है शैतान की प्रेमिका की शक्ल। June 9 at 12:09am · शैतान के घर में होता है शैतान की प्रेमिका का कमरा। जहाँ कहीं ऐसा नहीं होता वहां असल में प्रेम ही नहीं होता। * * * सुबह से आसमान में बादल हैं। बिना बरसे ही बादलों की छाँव भर से लगता है कि ज़मीं भीगी-भीगी है। किसी का होना भर कितना अच्छा होता है। * * * June 10 at 1:03pm · अतीत एक साया इसलिए भी नहीं होना चाहिए कि जितना आपने खुद को खर्च किया है, वह कभी साये की तरह अचानक गुम हो जाये। * * * ओ प्रिये ए...
[रेगिस्तान के एक आम आदमी की डायरी]