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किस तरह, किस के प्रेम में पड़े

मैंने कहा इस बार हम दोनों एक जैसे दो जैकेट खरीदेंगे। तुमने ऐसे देखा जैसे हमेशा के लिए हम एक होने वाले हैं। * * *

जैकेट सोफ़े पर ऐसे पड़ा है
जैसे तुम अभी-अभी
इसे उतार कर कहीं गए हो।
वही जैकेट जो हमको एक साथ खरीदना था
मगर अभी हम एक साथ बाज़ार नहीं जा पाए हैं।
* * *
अचानक रम की कुछ बूंदें
जैकेट पर गिर पड़ी तो याद आया।
कि वे तुम्हारे होंठ थे
और वह एक ऐसी जगह थी,
जहां बहुत लोग थे।
* * *
तुमने अनेक वाकये बताये
कि किस तरह किस के प्रेम में पड़े।
मुझे कभी न लगा
कि तुम्हारा प्रेम कोई उतरी हुई शै है।
एक पुराने जैकेट से
मुझे दूजों की ख़ुशबू कभी नहीं आई।
* * *
महीने भर बाद हम
सीपी के गलियारों में घूम रहे होते।
मगर सब बदल गया है
अब खिड़की से सूनी सड़कें दिखती हैं
कि अब कौन जाता होगा जैकेट खरीदने?
* * *
कोई काला जादू नहीं होता।
बस कुछ एक बार हम
मेट्रो स्टेशन की किसी खिड़की के पास खड़े
सोचते हैं कि सीढियां उतर जाएं।
कुछ एक बार सोचते हैं
कि सिगरेट बुझा दें और देख आएं
कि कहीं तुम इंतज़ार में तो नहीं खड़े।
* * *
मुझे नहीं पता
कि दूर होकर कैसे जिया जाता है।
मैंने कभी-कभी ये महसूस किया है
कि हम कहीं भी होते मगर
एक सा जैकेट पहने बैठे होते।
* * *
कोई जैकेट
तुम्हारे बदन की गर्मी नहीं ला सकता।
मगर अक्सर ये ख़याल आता है
कि एक जैसे दो जैकेट साथ खरीदे होते।
* * *
मेरे रोमांच की बस इतनी इंतेहा है
कि दो जैकेट एक दूजे पर गिरे पड़े हैं।
* * *

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