Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2024

कहने की कला

हेलेन केलर की एक कहानी ‘द फ़्रोस्ट किंग’ अंध विद्यालय की पत्रिका में प्रकाशित हुई। इसके बाद एक प्रतिष्ठित पत्रिका ने इसे प्रकाशित किया। पाठकों का इसकी ओर ध्यान गया तो मालूम हुआ, ये कहानी मारग्रेट कैनबी की कहानी ‘फ़्रोस्ट फैरीज़’ से मिलती जुलती थी। हेलेन केलर की उम्र ग्यारह बरस थी। वे देखने में असमर्थ थी। मिस सुल्लीवन उनको प्रकृति के बारे में बताती थी। सुल्लीवन की भाषा और प्रस्तुतीकरण में अपने पढे हुए के प्रभाव रहे होंगे। लेकिन उन सुनी गई बातों या जिस भी तरह प्रकृति को समझा गया था, का असर लेखन में आया। लेकिन उस कहानी में अन्य रचना से समानता थी। साहित्यिक चोरी के बेहिसाब क़िस्से हैं। इनमें से अधिकतर पार्टनर, मित्र और सहकर्मियों के हैं। लेखकीय स्वभाव के दो व्यक्तियों के बीच हुई चर्चा, डायरी का आदान प्रदान और हस्तलिखित स्क्रिप्ट का थोड़े फेरबदल के साथ अपने नाम से प्रकाशन का सिलसिला अनवरत है। समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्ताज़ को उपन्यास के रूप में लिखकर प्रकाशित करवा लिए, शोध ग्रन्थों को कथा में रूपायित कर रचना के वास्तविक लेखक बन बैठे, फ़ीचर से यथावत भाषा और सामग्री चुरा के रचना को मौलिकता का...