ससुराल से आई मीठी बूंदी खा रहा हूँ। जितनी मीठी है उतनी ही सुन्दर भी। ज्यादातर पीली है मगर कुछ एक रानी रंग की भी है। इसी बूंदी में कुछ एक टुकड़े जलेबी के भी हैं। मैंने पक्का कर लिया था कि एक भी बूंदी गिरने न पाए। लेकिन ध्यान भंग हो रहा है। कुछ एक नीचे गिर रही हैं।
मैं आस-पास देखता हूँ कि कोई है तो नहीं? फिर उसे उठाकर छोटे बच्चे की तरह फूंक मारकर मुंह में रख लेता हूँ। फिर आस पास देखता हूँ कि किसी ने देखा तो नहीं फिर मुंह चलाना शुरू करता हूँ।
मेरे साथ एक लड़का पढ़ता था। वह अपना लंच लेने के लिए किसी एकान्त में जाता था। वहां वह उसे धीरे धीरे खाता था। खाते समय कहीं खो जाता था। जब भी वह देखता कि कोई उसे खाते हुए देख रहा है, वह लंच बॉक्स को बंद कर देता था।
एकान्त, आपकी याददाश्त की मरम्मत करता है।
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मैंने मुल्तवी कर दिया
पूछना उसका नाम।
शर्त जो उसने रखी, बेजा न थी।
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