असल में ऐप के पीछे छुपा हुआ शुभचिंतक आपकी हर तरह से हत्या का इरादा रखता है। आप समझ नहीं रहे। मेरे पिता के ज़माने के लोग कहा करते थे कि अपनों को मुंह पर डांटते रहिये, पीठ के पीछे उनकी प्रसंशा कीजिये। एक ऐंटी सोशल एप ने बुजुर्गों की ये बात याद दिला दी है। अब चुपके से बिना नाम बताए ढेर तारीफें फेंकी जा रही हैं। लेकिन मेरा एक डर अभी बाकी है। ये अदृश्य लोग कितने ख़तरनाक हैं। ये आपकी अच्छाइयों को आपके सामने स्वीकारते नहीं हैं। ये लोग आपके सामने प्यार और इज्ज़त से देखते नहीं लेकिन पसमंज़र में आपके लिए दिल उछाले जा रहे हैं। आपको अपना क्रश बता रहे हैं। आपको डेट पर चलने के न्योते दे रहे हैं। किसी भी व्यक्तित्व को सम्मान और प्रेम चाहिए होता है। वह आपके मुख से अपने बारे में दो मीठी बातें सुनकर ख़ुश भी रहना चाहता है। हम ऐसा नहीं करते हैं। एप पर आये संदेशे अगर आपने ख़ुद ख़ुदको नहीं भेजे हैं तो सावधान रहिये। मैंने एप का उपयोग नहीं किया। अगर किया होता और कोई मुझे गुप्त तरीके से कहता कि आप अच्छी कहानियां लिखते हैं। तो ये हौसला अफ़ज़ाई क्या सचमुच होती? ऐसा क्यों है कि आप किसी को अच्छा कहने ...
[रेगिस्तान के एक आम आदमी की डायरी]