इस रुत


तुरई के पीले फूलों पर
भँवरे मंडराते रहे
बेरी में घोंसला बनाती रही नन्ही काली चिड़िया
बेशरम की बेल चढ़ गई नीम की चोटी तक
मन, ख़रगोश घर के बैकयार्ड में खोया रहा।

इस रुत कहीं जाने का मन न हुआ।


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