पहली बात ये है कि आप चाहते कुछ हैं करते कुछ. आपकी चाहना है कि बड़ी पत्रिकाओं में आपकी तस्वीरें छपें और आपके लेखन के बारे में अच्छी बातें लिखीं हों. समाचार पत्रों के साप्ताहिक परिशिष्ठ हर दो एक महीने में आपके लिए कसीदे पढ़ दें. आपको इकलौता अद्वितीय लेखक बताते रहें. ऐसा आप इसलिए चाहते हैं कि जहाँ जाएँ लोगों की भीड़ आपको घेर लें. उस भीड़ में आपके अपोजिट सेक्स वाले सुन्दर चहरे भी हों और आप उनके दोस्त बन जाएँ. दोस्त कहना तो फिर भी काफी अच्छी बात है. आपकी असल चाहना है कि आप जीवन को भोग सकें. एक से दूजे व्यक्ति को छूते हुए भागते-भागते दुनिया के आख़िरी छोर तक पहुंच जाये. तो पहली बात ख़ुद से पूछो कि क्या सचमुच लेखक बनना है या लोगों के साथ अन्तरंग होना हो. अगर पहली या दूजी कोई भी बात है तो आपको ये प्रकाशकों-संपादकों की हाजरी में खड़े रहना, आलोचक बनकर किताबों की समीक्षा के नाम पर चाटुकारिता करके अपना समूह बनाना, कोई ई मैगजीन शुरू करना, सम्मान पाने के लिए अवसर तलाशना बंद कर देना चाहिए. आपको यात्रा करनी चाहिए. ऐसी जगहों पर नौकरी करनी चाहिए जहाँ कई दिनों तक ठहरने वाले पर्यटक आते हों. आप कुछ भी बन ज...
[रेगिस्तान के एक आम आदमी की डायरी]