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कुछ का कहना है

कॉमरेड्स ने मुझे ख़राब कॉमरेड कहते हुए मुँह फेर लिया। कांग्रेसी मुझे पसंद नहीं थे और उनको मेरी गरज भी नहीं थी। बीजेपी वालों ने कहा कि आप में बस एक ही कमी रह गयी है कि जेएनयू में नहीं पढ़े।

लेखकों ने कहा तुमको पहले अच्छा प्रेमी बनना चाहिए। प्रेमियों का कहना था कि इससे तो तुम लेखक ठीक हो। आदमियों ने कहा तुम स्त्रियों से घिरे रहते हो। स्त्रियां कहने लगी मैं तुमसे क्यों बात करूँ? तुम्हारे आस-पास और बहुत हैं।

मोटरसाइकिल पर चलता था तो कहा कार क्यों नहीं ले लेते। कार लेने का प्लान किया तो नोटबन्दी हो गयी। नोट खुले तो चेक से पेमेंट अनिवार्य हो गया। चेक के लिए मालूम किया तो याद आया बच्चों की मदद के लिए बची सेविंग के सिवा कुछ बचा नहीं है।

बचपन में लगता था बड़े हो जाएंगे तो आराम आ जायेगा। बड़े हुए तो लग रहा है बच्चों के काम बन जाएं तो आराम आये।

कभी लगता था दिन भर बियर पीने की जगह एक घूंट व्हिस्की अच्छी होगी। कभी लगा रात को भी बीयर पीनी चाहिए। कभी सोचा जिन गर्मियों में ही क्यों सर्द रातों में भी पी जाएं। कभी कपड़े सिलवाये। कहा रेडीमेड सूट नहीं करता स्टिच करवाता हूँ। कभी कहा वो लुक है ही नहीं स्टिच में। कभी सोचा दो कपड़े चुनकर रोज़ पहनेंगे जब वे फट जाएंगे तब नए लेंगे।

कभी सुबह भरपेट नाश्ता करने की ठानी। कभी लन्च में घर जाने लगा। कभी सोचा जाने दो क्या खाना क्या पीना। चल रहा है चलने दो।

इस तरह ज़िन्दगी इतनी बेढब रही कि न पूछो।

मगर एक बात हमेशा एक ही रही। कभी न बदली कि प्यार हो तो बस ईमानदारी से भरा हो। वरना कभी न हो।

मगर होता कुछ नहीं है। ज़िन्दगी से अच्छा तो एक मरा हुआ झाऊ चूहा होता है। जिसे मेरी दादी बिलौने के पास बांधकर रखती थी। उनको लगता था कि इससे मक्खन ज़्यादा बनता है।

इन दिनों मैंने एक मोदी जैसा महबूब बनाया है। कुछ का कहना है कि मेरा भविष्य अच्छा है।

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स्वर्ग से निष्कासित

शैतान प्रतिनायक है, एंटी हीरो।  सनातनी कथाओं से लेकर पश्चिमी की धार्मिक कथाओं और कालांतर में श्रेष्ठ साहित्य कही जाने वाली रचनाओं में अमर है। उसकी अमरता सामाजिक निषेधों की असफलता के कारण है।  व्यक्ति के जीवन को उसकी इच्छाओं का दमन करके एक सांचे में फिट करने का काम अप्राकृतिक है। मन और उसकी चाहना प्राकृतिक है। इस पर पहरा बिठाने के सामाजिक आदेश कृत्रिम हैं। जो कुछ भी प्रकृति के विरुद्ध है, उसका नष्ट होना अवश्यंभावी है।  यही शैतान का प्राणतत्व है।  जॉन मिल्टन के पैराडाइज़ लॉस्ट और ज्योफ्री चौसर की द कैंटरबरी टेल्स से लेकर उन सभी कथाओं में शैतान है, जो स्वर्ग और नरक की अवधारणा को कहते हैं।  शैतान अच्छा नहीं था इसलिए उसे स्वर्ग से पृथ्वी की ओर धकेल दिया गया। इस से इतना तय हुआ कि पृथ्वी स्वर्ग से निम्न स्थान था। वह पृथ्वी जिसके लोगों ने स्वर्ग की कल्पना की थी। स्वर्ग जिसने तय किया कि पृथ्वी शैतानों के रहने के लिए है। अन्यथा शैतान को किसी और ग्रह की ओर धकेल दिया जाता। या फिर स्वर्ग के अधिकारी पृथ्वी वासियों को दंडित करना चाहते थे कि आखिर उन्होंने स्वर्ग की कल्पना ही क्य...

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