छोटा भाई पुलिस में एडीसीपी है। जयपुर पुलिस हैडक्वाटर में उसे जो कक्ष आवंटित है, उसके बाहर उसने नेम प्लेट नहीं लगवा रखी।
भाई के पास एक मैसेंजर बैग है। लेदर का है। कीमती ही होगा। उस बैग को कई बार परिचितों ने लेडीज़ बैग बता दिया है।
एक बार कुछ परिचित मिलने कक्ष में पहुंचे। उन्होंने देखा कि रूम में टेबल पर लेडीज़ बैग रखा है। वे दरवाज़े से झांक कर ही चले गए।
उन्होंने फ़ोन किया साहब कहाँ हो? मनोज ने जवाब दिया। "अपने कक्ष में हूँ। पधारो।" उन्होंने कहा- "साब नेमप्लेट तो आपकी लगी नहीं और जो कमरा नम्बर बताया उसमें तो टेबल पर किसी महिला अधिकारी का पर्स रखा है।"
भाई के उस मैसेंजर बैग में एक आईपैड, एक फ़ोन, कुछ दवाएं, कुछ सुगंधित द्रव की शीशियां और शायद ओबामा की तरह एक हनुमान जी की मूर्ति भी रखी रहती है। इसके अलावा कुछ और भी चीजें होंगी।
भाई ने मेरा बैग देखकर पूछा- "आपको मेरे वाला बैग लेडीज़ बैग दिखता है?" मैंने कहा- "दिखता तो मैसेंजर बैग ही है लेकिन इतना सारा सामान और सामान की प्रकृति के हिसाब से लेडीज़ होने की वाइब्रेशन दे सकता है।"
मनोज ने पूछा- "आपके बैग में क्या है?" मैंने कहा- "देखो"
उसमें से दो स्पायरल ड्राइंग बुक, एक बाइन्ड ड्राइंग डायरी, पेस्टल और पेंसिल रंगों के टुकड़े, पेंसिलें, फ़ोन, कैमरा आदि चीज़ें थीं।
मैंने कहा- "भाई अब एक शनिदेव की मूर्ति रखनी है।"
जय शनि देव सब ट्रोल्स की ख़बर लो।
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