बीते दिनों हमने कई बार तय किया कि इस बार स्काय ब्लू जींस और व्हाइट शर्ट, टी खरीदेंगे। अगले कुछ बरस यही रंग पहनेंगे।
कौन जानता है कि खरीदे जाएंगे कि नहीं अगर खरीदे गए तो कब तक पहने जा सकेंगे।
पुरानी तस्वीरों में दोस्त अब भी गले लगे, चिपके और मुस्कुराते हुए बैठे हैं। वे दोस्त जो कि हम कभी नहीं बिछड़ेंगे के फील से भरे थे। अब बस तस्वीरों में हैं।
उन तस्वीरों को देखकर शुबहा होता है कि क्या वे दोस्त थे?
लेकिन दिल तवज्जो नहीं देता। वह खुश रहता है कि उम्र भर चलने वाली चीज़ें, रिश्ते या याराने की आस क्या रखना? जब तक जितना साथ था, अच्छा था न। खुश भी थे न?
ऐसे ही एक हल्के सलेटी रंग की जींस थी। ब्लॉग में कहीं उसकी याद के निशान मिलते हैं। जब तक साथ रही दिल में रही। फिर कभी वह रंग सामने आया ही नहीं।
एक तांत्रिक पूछता है। रूह देखी है कभी। वही तांत्रिक रूहों के लिबास भी जानता है। उस तांत्रिक के बहुत चाहने वाले हैं। उनमें से एक ने मुझसे पूछा था। रूह को महसूस किया है कभी?
पता नहीं तब मैने उसे क्या जवाब दिया था।
अब फिर से किसी ने मुझे पूछा तो कह सकता हूं। तुम हल्का आसमानी नीला और सफेद पहनकर मिलना। वही रंग तुम पर फबता है। वही रूह का रंग होता होगा।