पहाड़ पर बैठ कर उसकी सख्ती के बारे में सवाल नहीं करने चाहिए. उसकी मज़बूरी के बारे में सोचना चाहिए कि उसके पास इंतज़ार के सिवा कोई चारा नहीं है, वरना नदियाँ किसे प्यारी नहीं होती. बेवजह की बातें... देखो अँधेरे में इन तारों को और मैं देख रहा हूँ अँधेरे में चमकते हैं, तारे. रुखसत कर दो, तकलीफ़ का ख़याल दिल से और मैं तकलीफों पर लगाने लगा, लाल निशान. कि कल रात मुझे लगा, तुम बैठी हो कुर्सी के हत्थे पर टिकाये कोहनी और मैंने ले रखा है, सहारा, कुर्सी के पायों का. * * * ओ रॉल्फ सायमन स्कूल में आखिरी बैंच पर बैठती है, कोई लड़की क्या उसके पास बची है थोड़ी खाली जगह, थोड़ा सा धैर्य ? ओ केथरीन बर्कले अब कितने चुम्बन दूर रह गया है, सोम के युद्ध का मैदान. ओ लेफ्टिनेंट फ्रेडरिक हेनरी कहां गयी शराब, कहां गयी औरतें और कहां गयी नींद. * * *
[रेगिस्तान के एक आम आदमी की डायरी]