Skip to main content

कितनी तहें हैं, और रंग कितने हैं

दिसम्बर का महीना आरम्भ हो गया है. हल्की ठंड है मगर सर्द दिन ही हैं. सुबह धूप में बैठे हुए मुझे पुलिस दरोगा ओचुमेलोव की याद आई. और उसके साथ एक ग्रे हाउंड किस्म का मरियल कुत्ता और सुनार खुकिन याद आया. चेखव की कहानी 'गिरगिट' हमें बचपन में पढ़ाई गयी थी. शिक्षा विभाग ने सोचा होगा कि ऐसी कहानियां पढ़कर बच्चे सीख लेंगे. लेकिन बच्चों ने इस कहानी को पढ़ते और समझते हुए क्या सीखा मुझे नहीं मालूम मगर मैंने जो सीखा वह साफ़ सुथरा था. 

एक- मनुष्य के स्वभाव एवं व्यवहार की जानकारी लेना
दो- कथा की विषयवस्तु को अपने अनुभवों से जोड़ना
तीन- नवीन शब्दों के अर्थ जानना और अपने शब्द भंडार में वृद्धि करना
चार- नैतिक मूल्यों में वृद्धि करना

इनके सिवा जो कुछ और बातें कहानी के बारे में बनायीं जा सकती थीं, वे छात्र को आधा अतिरिक्त अंक दिलवा सकती थी. इसमें आगे हमारे अध्यापक कहते थे कि इस तरह की कहानियां पढने से कथा कौशल में वृद्धि होती है. 

कहानी आपने पढ़ी होंगी. इस कहानी में एक कुत्ता व्यक्ति की अंगुली काट लेता है. कुत्ते की पकड़ के हंगामे के दौरान सख्त और क़ानून की हिफाज़त के लिए प्रतिबद्ध दरोगा ओचुमेलोव अपने सिपाही साथी के साथ वहां पहुँचता है. सुनार अपनी अंगुली काटे जाने का हर्जाना मांगता है. दरोगा कहता है कि वह ऐसे आवारा कुत्तों से मनुष्यों को होने वाली हानि बर्दाश्त नहीं करेगा. भीड़ से अचानक आवाज़ आती है कि ये कुत्ता तो जनरल जिगालोव का है. इसके बाद दरोगा को बारी-बारी से ठण्ड और गर्मी लगती है. वह अपना कोट उतारता और पहनता है. अंततः ये मालूम होता है कि कुत्ता जनरल के भाई का है और वे इन दिनों यहाँ आये हुए हैं. दरोगा कहता है- अरे मुझे बताया ही नहीं गया कि वे यहाँ आये हुए हैं. कब तक रुकेंगे?” 

इसके बाद सुनार को एक उपद्रवी बताकर धमका कर दफ़ा कर दिया जाता है. कुत्ते को अपनी गोदी में उठाकर दरोगा साहब चल देते हैं. 

वे इस कहानी को कक्षा में इस तरह पढ़ाते थे कि ये व्यवस्था और चाटुकारों की कहानी है. इसमें व्यवस्था का चरित्र खुलकर सामने आता है. जहाँ कहीं व्यवस्था है वहां नैतिकता होने पर ही समाज का भला हो सकता है. आह !! काश उन्होंने इस कहानी को मनोविज्ञान की तरह पढ़ाया होता. मुझे समझाते कि बेटा इस दुनिया के आदमी का कोई भरोसा नहीं है. वह अपने लाभ और हित के लिए कितने ही स्वांग कर सकता है. तुम उसके कहे शब्दों को अंतिम न मान लेना. वह बाहर से जो दीखता है असल में अंदर से वैसा नहीं है. 

पुलिस दरोगा ओचुमेलोव काश तुम आखिरी गिरगिट होते. 

इस कहानी के नाट्य रूपांतरण को दुनिया भर में बेहिसाब खेला गया है. बहुत से कलाकार इन पात्रों को अपनी आत्मा से जोड़कर निभा सके है. इसलिए कि गिरगिट होने का गुण मनुष्य के भीतर बखूबी उपस्थित है.

Popular posts from this blog

स्वर्ग से निष्कासित

शैतान प्रतिनायक है, एंटी हीरो।  सनातनी कथाओं से लेकर पश्चिमी की धार्मिक कथाओं और कालांतर में श्रेष्ठ साहित्य कही जाने वाली रचनाओं में अमर है। उसकी अमरता सामाजिक निषेधों की असफलता के कारण है।  व्यक्ति के जीवन को उसकी इच्छाओं का दमन करके एक सांचे में फिट करने का काम अप्राकृतिक है। मन और उसकी चाहना प्राकृतिक है। इस पर पहरा बिठाने के सामाजिक आदेश कृत्रिम हैं। जो कुछ भी प्रकृति के विरुद्ध है, उसका नष्ट होना अवश्यंभावी है।  यही शैतान का प्राणतत्व है।  जॉन मिल्टन के पैराडाइज़ लॉस्ट और ज्योफ्री चौसर की द कैंटरबरी टेल्स से लेकर उन सभी कथाओं में शैतान है, जो स्वर्ग और नरक की अवधारणा को कहते हैं।  शैतान अच्छा नहीं था इसलिए उसे स्वर्ग से पृथ्वी की ओर धकेल दिया गया। इस से इतना तय हुआ कि पृथ्वी स्वर्ग से निम्न स्थान था। वह पृथ्वी जिसके लोगों ने स्वर्ग की कल्पना की थी। स्वर्ग जिसने तय किया कि पृथ्वी शैतानों के रहने के लिए है। अन्यथा शैतान को किसी और ग्रह की ओर धकेल दिया जाता। या फिर स्वर्ग के अधिकारी पृथ्वी वासियों को दंडित करना चाहते थे कि आखिर उन्होंने स्वर्ग की कल्पना ही क्य...

टूटी हुई बिखरी हुई

हाउ फार इज फार और ब्रोकन एंड स्पिल्ड आउट दोनों प्राचीन कहन हैं। पहली दार्शनिकों और तर्क करने वालों को जितनी प्रिय है, उतनी ही कवियों और कथाकारों को भाती रही है। दूसरी कहन नष्ट हो चुकने के बाद बचे रहे भाव या अनुभूति को कहती है।  टूटी हुई बिखरी हुई शमशेर बहादुर सिंह जी की प्रसिद्ध कविता है। शमशेर बहादुर सिंह उर्दू और फारसी के विद्यार्थी थे आगे चलकर उन्होंने हिंदी पढ़ी थी। प्रगतिशील कविता के स्तंभ माने जाते हैं। उनकी छंदमुक्त कविता में मारक बिंब उपस्थित रहते हैं। प्रेम की कविता द्वारा अभिव्यक्ति में उनका सानी कोई नहीं है। कि वे अपनी विशिष्ट, सूक्ष्म रचनाधर्मिता से कम शब्दों में समूची बात समेट देते हैं।  इसी शीर्षक से इरफ़ान जी का ब्लॉग भी है। पता नहीं शमशेर उनको प्रिय रहे हैं या उन्होंने किसी और कारण से अपने ब्लॉग का शीर्षक ये चुना है।  पहले मानव कौल की किताब आई बहुत दूर कितना दूर होता है। अब उनकी नई किताब आ गई है, टूटी हुई बिखरी हुई। ये एक उपन्यास है। वैसे मानव कौल के एक उपन्यास का शीर्षक तितली है। जयशंकर प्रसाद जी के दूसरे उपन्यास का शीर्षक भी तितली था। ब्रोकन ...

लड़की, जिसकी मैंने हत्या की

उसका नाम चेन्नमा था. उसके माता पिता ने उसे बसवी बना कर छोड़ दिया था. बसवी माने भगवान के नाम पर पुरुषों की सेवा के लिए जीवन का समर्पण. चेनम्मा के माता पिता जमींदार ब्राह्मण थे. सात-आठ साल पहले वह बीमार हो गयी तो उन्होंने अपने कुल देवता से आग्रह किया था कि वे इस अबोध बालिका को भला चंगा कर दें तो वे उसे बसवी बना देंगे. ऐसा ही हुआ. फिर उस कुलीन ब्राह्मण के घर जब कोई मेहमान आता तो उसकी सेवा करना बसवी का सौभाग्य होता. इससे ईश्वर प्रसन्न हो जाते थे. नागवल्ली गाँव के ब्राह्मण करियप्पा के घर जब मैं पहुंचा तब मैंने उसे पहली बार देखा था. उस लड़की के बारे में बहुत संक्षेप में बताता हूँ कि उसका रंग गेंहुआ था. मुख देखने में सुंदर. भरी जवानी में गदराया हुआ शरीर. जब भी मैं देखता उसके होठों पर एक स्वाभाविक मुस्कान पाता. आँखों में बचपन की अल्हड़ता की चमक बाकी थी. दिन भर घूम फिर लेने के बाद रात के भोजन के पश्चात वह कमरे में आई और उसने मद्धम रौशनी वाली लालटेन की लौ को और कम कर दिया. वह बिस्तर पर मेरे पास आकार बैठ गयी. मैंने थूक निगलते हुए कहा ये गलत है. वह निर्दोष और नजदीक चली आई. फिर उसी न...