हमारे पास क्या कुछ है?



हमारे पास क्या न था। प्रतीक्षा, एकान्त, उदासी और कभी-कभी हताशा भी। लेकिन हमने इतनी सरल अनुभूतियों को देखा ही नहीं। उन क्षणों में स्वयं से बात ही नहीं की। प्रतीक्षा में थे तो कितना सुंदर था कि किसी के आने के ख़याल में सबकुछ भूल गए है। एकान्त था तो कितना अच्छा था कि हम बहुत बरस पीछे लौटकर अपनी याद से गुम हुए लम्हों की तलाश कर सकते थे। उदास थे तो ख़ुद से बतियाते। क्या चाहिए प्यारे। जब तुम किसी की कामना करते हो तो ये तुम्हारा गुण है, उसका कुछ नहीं है। कितने ही हीरे जब हमारी कामना में नहीं होते तो उनका क्या मोल होता है। हताशा इसलिए थी कि हम एक नई शुरुआत कर सकें। सब कुछ नया। लेकिन हम कब उन चीज़ों, सम्बन्धों और साथ की कद्र करते हैं, जो हमारे पास होता है।

सोचना, हमारे पास क्या कुछ है? जो भी है, उसे समझोगे तो बहुत उपयोगी पाओगे।

Popular Posts