टाई बांधे हुए बकरी
बाड़मेर रेलवे स्टेशन के क्रॉसिंग पर बहुत सारी सुंदर बकरियां फाटक खुलने का इंतज़ार कर रही थी। उनमें से एक के गले में टाई बांधी हुई थी।
सिरोही नस्ल की बकरियां थी। हालांकि थोड़ा बहुत संकर हो जाना भी आम बात है। बाड़मेर शहर में इस नस्ल की बकरियां तेलियों और पठानों के पास अधिक हैं। यहां का किसान समुदाय मारवाड़ी या जरखाना नस्ल की बकरियां पालना पसंद करते हैं।
बाड़मेर के किसान बकरी को दूध और बाकर माने उनके बालों के लिए पालते हैं। ये बकरियां दो से तीन लीटर दूध दे सकती हैं। इनके बाल ऊंट के बालों के साथ जिरोही माने चटाई बुनने में काम ले लिए जाते हैं। हालांकि बाकर अधिक होने से जिरोही चुभती है।
सिरोही नस्ल के बकरे का भार चालीस पचास किलो के आसपास होता है। बकरियां औसत तीस पैंतीस किलो होती हैं। इस नस्ल का पालन पोषण मीट के लिए अधिक किया जाता है।
बकरी के दूध को डेंगू रोगी के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। बाड़मेर में डेंगू के भयावह प्रकोप के समय दूध की कीमत अविश्वसनीय हो गई थी।
वैसे बकरी बहुत सुंदर जानवर है। ये काफी हठी स्वभाव का भी होता है। इसे पहाड़ों पर खड़ी चढ़ाई चढ़ने में कोई समस्या नहीं होती। बाड़मेर में जहां कहीं अरावली के पहाड़ हैं, वहां बकरियां उनको बोना साबित करती रहती हैं।
Comments