आह ! अब जाकर आराम आया. सप्ताह भर से मन में अजीब सी बेचैनी थी. भविष्य के बायस्कोप में झांकने का साहस ही नहीं हो रहा था. नए भारत का ख़याल मात्र आते ही रूह काँप जाती थी. नियम कायदे से जीना सब से मुश्किल काम होता है. इस बार जैसी हवा चल रही थी उसके हिसाब से तो आने वाले दिनों में जीना असंभव हो जाता. ऐसा कहते हुए गधा आराम से नसरुद्दीन के बराबर बैठ गया.
उसने पनवाड़ी को कहा कि आज ऐसा हठीला पान लगाओ की शाम खिंची चली आये. गधे के बदन का एक-एक रोंयां ख़ुशी के मारे झूम रहा था. जबकि नसरुद्दीन ठोडी को हथेली पर टिकाये गुम-ख़याल था. गधे ने कहा हालाँकि मैंने सिगरेट पीना छोड़ दिया है पर सच कहूं तो आज ये मन हो रहा है कि धुंएँ के छल्ले बनाऊँ. उन छल्लों की एक जंजीर बने, उस के सहारे आसमान तक चढ़ कर ख़ुदा का शुकराना अदा करूं, इतनी बड़ी ख़ुशी बख्शने के लिए.
उसका जी था कि आस पास खड़े हुए सबको एक करारी दुलत्ती का इनाम भी दे. लेकिन इस महान अवसर पर उसने शब्द शक्ति का ही दामन थाम कर रखा. उसने दो बार नसरुद्दीन के हाथ पर अपनी गरदन रगड़ी और कहा. उस पढ़े लिखे ठेले वाले का सत्यानाश हो जिसने देशों में आग लगवा दी. सारी दुनिया आज़ादी-आज़ादी चिल्लाने लगी. इधर अपने देश के सौ फीसद लोग भी भ्रष्टाचार से दुखी हैं तो वे भी इस हवा में शामिल होने की तैयारी करने लगे. सच में हालात इतने गंभीर हैं कि कभी भी जनाक्रोश का विस्फोट हो सकता है.
ठीक ऐसे में इन बुजुर्गवार ने जंतर-मंतर शुरू किया. मंतर अचूक था कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराओ और जंतर यानि कोई भौतिक साधन यानि गाँधी टोपी से भी बड़ी आशाएं जाग रही थी. देश के कोने-कोने से नए स्वच्छ भारत के लिए आवाज़ें आने लगी तो पहले मैं डर गया और दो दिन तक छुप कर बैठा रहा. भले ही गधा हूँ पर इतना समझ में आ गया है कि मुसीबत से भागो नहीं बल्कि सामना करो तो मुक्ति है. नसरुद्दीन का चेहरा जिज्ञासु था और गधे ने अपने आत्ममुग्ध बयान को जारी रखा.
उसने आगे कहा कि मैंने इंटरनेट पर इनका जन लोकपाल का प्रस्ताव पढ़ा. यकीन मानिये कि मेरा डर बड़ी तेजी से गायब हुआ. एक प्रस्ताव था कि भारत रत्न जैसे सम्मानों से नवाजे गए लोग लोकपाल चुनने में हमारा मार्गदर्शन करेंगे. मुझे तुरंत एक पद्मश्री से सम्मानित व्यक्ति का चेहरा याद आया. उनको पर्यावरण के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. ख़ुशी की बात है कि वे पर्यावरण में किसी भी तरह के हस्तक्षेप के दोषी नहीं है. मुझे बड़ा आराम आया कि ये तो फिर से अपने ही लोगों को चुनने की बात कर रहे हैं.
लेकिन जनता उद्वेलित थी, मासूम बच्चे देश भर में सड़कों पर आ रहे थे और अन्ना साहब और उनके साथियों के पीछे लगे बैनर पर भगत सिंह की तस्वीर बनी हुई थी इसलिए मैंने दो और दिन लोकपाल के प्रस्तावों को पढने और अपने जैसे भ्रष्ट आलसियों के अंजाम के बारे में फौरी कयास लगाते हुए बिता दिये. मुझे ये भी डर था कि कहीं सरकार और विपक्ष इस बात पर एकजुट न हो जाये कि लोकसेवकों और प्रसाशकों से लेकर निम्न स्तर तक के अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा चलाये जाने की लंबित फाइलों पर तुरंत प्रभाव से बिना शर्त अनुमति जारी कर दे.
नसरुद्दीन ने कहा कि ये तो तुमने अपने डर बताये हैं, ख़ुशी की बात क्या है ?
गधे ने महासमर विजेता की मुस्कान के साथ कहा. इस गाँधी टोपी ने कमाल कर दिया है. इनके रोल माडल भी वहीं हैं. जिनके गले में नरमुंडों की मालाएं हैं और जो भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं. गधे ने अपनी टांगों की अकड़ दूर करते हुए कहा. अभी भूगर्भीय हलचलें इतनी तेज़ नहीं है कि लावा फूट पड़े, ये यूं ही भगत सिंह का फोटो लगा कर डराते हैं. गधे ने अपनी बात को इक़बाल अज़ीम की ग़ज़ल से सुपर इम्पोज कर दिया.
उसने पनवाड़ी को कहा कि आज ऐसा हठीला पान लगाओ की शाम खिंची चली आये. गधे के बदन का एक-एक रोंयां ख़ुशी के मारे झूम रहा था. जबकि नसरुद्दीन ठोडी को हथेली पर टिकाये गुम-ख़याल था. गधे ने कहा हालाँकि मैंने सिगरेट पीना छोड़ दिया है पर सच कहूं तो आज ये मन हो रहा है कि धुंएँ के छल्ले बनाऊँ. उन छल्लों की एक जंजीर बने, उस के सहारे आसमान तक चढ़ कर ख़ुदा का शुकराना अदा करूं, इतनी बड़ी ख़ुशी बख्शने के लिए.
उसका जी था कि आस पास खड़े हुए सबको एक करारी दुलत्ती का इनाम भी दे. लेकिन इस महान अवसर पर उसने शब्द शक्ति का ही दामन थाम कर रखा. उसने दो बार नसरुद्दीन के हाथ पर अपनी गरदन रगड़ी और कहा. उस पढ़े लिखे ठेले वाले का सत्यानाश हो जिसने देशों में आग लगवा दी. सारी दुनिया आज़ादी-आज़ादी चिल्लाने लगी. इधर अपने देश के सौ फीसद लोग भी भ्रष्टाचार से दुखी हैं तो वे भी इस हवा में शामिल होने की तैयारी करने लगे. सच में हालात इतने गंभीर हैं कि कभी भी जनाक्रोश का विस्फोट हो सकता है.
ठीक ऐसे में इन बुजुर्गवार ने जंतर-मंतर शुरू किया. मंतर अचूक था कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराओ और जंतर यानि कोई भौतिक साधन यानि गाँधी टोपी से भी बड़ी आशाएं जाग रही थी. देश के कोने-कोने से नए स्वच्छ भारत के लिए आवाज़ें आने लगी तो पहले मैं डर गया और दो दिन तक छुप कर बैठा रहा. भले ही गधा हूँ पर इतना समझ में आ गया है कि मुसीबत से भागो नहीं बल्कि सामना करो तो मुक्ति है. नसरुद्दीन का चेहरा जिज्ञासु था और गधे ने अपने आत्ममुग्ध बयान को जारी रखा.
उसने आगे कहा कि मैंने इंटरनेट पर इनका जन लोकपाल का प्रस्ताव पढ़ा. यकीन मानिये कि मेरा डर बड़ी तेजी से गायब हुआ. एक प्रस्ताव था कि भारत रत्न जैसे सम्मानों से नवाजे गए लोग लोकपाल चुनने में हमारा मार्गदर्शन करेंगे. मुझे तुरंत एक पद्मश्री से सम्मानित व्यक्ति का चेहरा याद आया. उनको पर्यावरण के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. ख़ुशी की बात है कि वे पर्यावरण में किसी भी तरह के हस्तक्षेप के दोषी नहीं है. मुझे बड़ा आराम आया कि ये तो फिर से अपने ही लोगों को चुनने की बात कर रहे हैं.
लेकिन जनता उद्वेलित थी, मासूम बच्चे देश भर में सड़कों पर आ रहे थे और अन्ना साहब और उनके साथियों के पीछे लगे बैनर पर भगत सिंह की तस्वीर बनी हुई थी इसलिए मैंने दो और दिन लोकपाल के प्रस्तावों को पढने और अपने जैसे भ्रष्ट आलसियों के अंजाम के बारे में फौरी कयास लगाते हुए बिता दिये. मुझे ये भी डर था कि कहीं सरकार और विपक्ष इस बात पर एकजुट न हो जाये कि लोकसेवकों और प्रसाशकों से लेकर निम्न स्तर तक के अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा चलाये जाने की लंबित फाइलों पर तुरंत प्रभाव से बिना शर्त अनुमति जारी कर दे.
नसरुद्दीन ने कहा कि ये तो तुमने अपने डर बताये हैं, ख़ुशी की बात क्या है ?
गधे ने महासमर विजेता की मुस्कान के साथ कहा. इस गाँधी टोपी ने कमाल कर दिया है. इनके रोल माडल भी वहीं हैं. जिनके गले में नरमुंडों की मालाएं हैं और जो भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं. गधे ने अपनी टांगों की अकड़ दूर करते हुए कहा. अभी भूगर्भीय हलचलें इतनी तेज़ नहीं है कि लावा फूट पड़े, ये यूं ही भगत सिंह का फोटो लगा कर डराते हैं. गधे ने अपनी बात को इक़बाल अज़ीम की ग़ज़ल से सुपर इम्पोज कर दिया.
तुमने दिल की बात कह दी आज ये अच्छा हुआ
हम तुम्हें अपना समझते थे, बड़ा धोखा हुआ !
हम तुम्हें अपना समझते थे, बड़ा धोखा हुआ !