बाढ़ के पानी पर बर्फ जम आई थी अब वहां दूर तक स्केट किया जा सकता था. एक दुपहरी में दस लड़कियाँ कन्धों पर स्केट लटकाए, गौरैयों की तरह चहकती हुई झुण्ड में पहुँच गयी. लड़कों को ये बर्दाश्त ही नहीं हुआ कि वहां लड़कियाँ भी स्केट करे. उन्होंने चीखते हुए उन पर हमला बोल दिया. रीयल जिम्नेजियम स्कूल के एक मोटे लड़के ने सबसे आगे खड़ी लड़की के पास पहुँचते ही अपनी बांह एक झटके से हवा में घुमाई और अपनी नाक छू ली. वह छोटी लड़की डर के भाग गयी. उसके पीछे डर कर चीखती भागती लड़कियों को देख कर लड़के ठहाके लगने लगे.
एक लड़की गिर पड़ी. लड़कों ने कहा अगर ऐसा ही होने लगा तब तो औरतें फ़ौजी बैरकों में भी आने लगेंगी, बल्कि लड़ाई के मैदान में लड़ने भी पहुँच जाएगी. औरतों की जगह घर है या फ़िर चर्च... यानोश कांदोलान्यी की कहानी रक्त अनुबंध के इसी भाग पर मैं रुक जाता हूँ. इसलिए कि ईश्वर के रखवाले दुनिया की जिस जगह भी हैं, उन्होंने औरतों के लिए जगहें निर्धारित कर रखी है. मेरे मित्र जब तुम एक सामूहिक ईश्वर के पक्ष में खड़े होते हो तब दुनिया की आधी और जरुरी आबादी के विरोध में खड़े होते हो.
कुछ माह पहले एक पुस्तक का उल्लेख करते हुए मेरी एक मित्र ने सुन्दर लेख लिखा था. उसकी अंतर्निहित भावना थी समानता और बाहरी तौर पर उठाया गया विषय था, आवारागर्दी. इस सतही प्रश्न की गहराई में गंभीर प्रश्न छुपा है. ये किसने तय किया है कि औरतों के काम क्या है और आदमी की असीम आज़ादी का छोर किस जगह पर है ? किस वजह से सभी लड़के इस लैंगिक भेद पर एकजुट क्यों है कि लड़कियाँ बेहतर जगहों पर स्केट नहीं कर सकती, क्यों उनके लिए चूल्हा और बाईबिल को सुनना ही श्रेयस्कर है. जब तुम इसी तरह बोलते या सोचते हो तब कभी ख़याल आया कि सामूहिक ईश्वर किस साज़िश का नाम है.
खैर ये कहानी दो सहपाठियों की है. एक सूखी भिन्डी है और दूसरा मोटा आलू. वे दोनों एक दिन अपनी अँगुलियों पर पिन चुभोते हैं. वे अपनी अंगुलियाँ आपस में मिलाते हैं और उन दोनों का रक्त अनुबंध हो जाता है. यह एक अटूट बंधन का विश्वास है. इसी विश्वास के सहारे बर्फ पर गिरी हुई कस्बे की सबसे सुन्दर लड़की ज़ोन चुपोर को धमका रहे मोटे लड़के को सूखी भिन्डी एक घूँसा जड़ कर गिरा देता है और लड़कों से बगावत कर उस गुलाबी गालों, नीली आँखों और सुनहरे बालों वाली ग्यारह साल की लड़की को अपने साथ भगाता हुआ ले जाता है.
उस दुबले लड़के की धड़कने हर वक़्त ज़ोन चुपोर के लिए कविताएं लिखने लगती है. वह अपने दोस्त को बताता है कि ज़ोन कितनी सुन्दर है और उस दिन के साहस प्रदर्शन के लिए बहुत चाहती है. दोस्त, मैंने उस लड़के को सिर्फ़ इसलिए मार गिराया कि मुझे विश्वास था कि तुम मेरे साथ हो. मैचस्टिक नाम से जाना जाने वाला मास्टर एक दिन उसकी मेज़ के आले की तलाशी लेने का काम उसी दोस्त को सौंपता है जिसके साथ उसका रक्त अनुबंध है. सूखी भिन्डी नामकरण वाला कवि ह्रदय नन्हा प्रेमी जिसका वास्तविक नाम कोलर था, खुश हुआ लेकिन उसके दोस्त ने मेज़ के आले से कविता का पुर्जा खोज कर मास्टर को सौंप दिया.
उस माचिस की तीली जैसे मास्टर ने कविता का पाठ कराया फ़िर कविता के पुर्जे को उसकी हथेली में रख कर पतले फुट्टे से तब तक मारा जब तक कि वह कागज पूरी तरह से फट न गया. मोटे आलू ने ऐसा धोखा क्यों किया ? मेरे पास इसका निश्चित उत्तर नहीं है. संभव है मोटे आलू को लगा हो कि सूखी भिन्डी की प्रेमिका उस मित्रता से उपजे साहस की देन है और उसका असली हकदार मोटा आलू यानि वह खुद ही है.
कहानी के अंत में यानोश कांदोलान्यी ने सूखी भिन्डी के बारे में सिर्फ़ इतना लिखा है कि उसकी आँखों के आगे गहरा काला पर्दा पड़ गया और उसे कहीं कोई नज़र नहीं आया, कोई नहीं. कहानी का आरम्भ इस पंक्ति से होता है. "जीवन की सबसे मूल्यवान वस्तु है मित्रता".
एक लड़की गिर पड़ी. लड़कों ने कहा अगर ऐसा ही होने लगा तब तो औरतें फ़ौजी बैरकों में भी आने लगेंगी, बल्कि लड़ाई के मैदान में लड़ने भी पहुँच जाएगी. औरतों की जगह घर है या फ़िर चर्च... यानोश कांदोलान्यी की कहानी रक्त अनुबंध के इसी भाग पर मैं रुक जाता हूँ. इसलिए कि ईश्वर के रखवाले दुनिया की जिस जगह भी हैं, उन्होंने औरतों के लिए जगहें निर्धारित कर रखी है. मेरे मित्र जब तुम एक सामूहिक ईश्वर के पक्ष में खड़े होते हो तब दुनिया की आधी और जरुरी आबादी के विरोध में खड़े होते हो.
कुछ माह पहले एक पुस्तक का उल्लेख करते हुए मेरी एक मित्र ने सुन्दर लेख लिखा था. उसकी अंतर्निहित भावना थी समानता और बाहरी तौर पर उठाया गया विषय था, आवारागर्दी. इस सतही प्रश्न की गहराई में गंभीर प्रश्न छुपा है. ये किसने तय किया है कि औरतों के काम क्या है और आदमी की असीम आज़ादी का छोर किस जगह पर है ? किस वजह से सभी लड़के इस लैंगिक भेद पर एकजुट क्यों है कि लड़कियाँ बेहतर जगहों पर स्केट नहीं कर सकती, क्यों उनके लिए चूल्हा और बाईबिल को सुनना ही श्रेयस्कर है. जब तुम इसी तरह बोलते या सोचते हो तब कभी ख़याल आया कि सामूहिक ईश्वर किस साज़िश का नाम है.
खैर ये कहानी दो सहपाठियों की है. एक सूखी भिन्डी है और दूसरा मोटा आलू. वे दोनों एक दिन अपनी अँगुलियों पर पिन चुभोते हैं. वे अपनी अंगुलियाँ आपस में मिलाते हैं और उन दोनों का रक्त अनुबंध हो जाता है. यह एक अटूट बंधन का विश्वास है. इसी विश्वास के सहारे बर्फ पर गिरी हुई कस्बे की सबसे सुन्दर लड़की ज़ोन चुपोर को धमका रहे मोटे लड़के को सूखी भिन्डी एक घूँसा जड़ कर गिरा देता है और लड़कों से बगावत कर उस गुलाबी गालों, नीली आँखों और सुनहरे बालों वाली ग्यारह साल की लड़की को अपने साथ भगाता हुआ ले जाता है.
उस दुबले लड़के की धड़कने हर वक़्त ज़ोन चुपोर के लिए कविताएं लिखने लगती है. वह अपने दोस्त को बताता है कि ज़ोन कितनी सुन्दर है और उस दिन के साहस प्रदर्शन के लिए बहुत चाहती है. दोस्त, मैंने उस लड़के को सिर्फ़ इसलिए मार गिराया कि मुझे विश्वास था कि तुम मेरे साथ हो. मैचस्टिक नाम से जाना जाने वाला मास्टर एक दिन उसकी मेज़ के आले की तलाशी लेने का काम उसी दोस्त को सौंपता है जिसके साथ उसका रक्त अनुबंध है. सूखी भिन्डी नामकरण वाला कवि ह्रदय नन्हा प्रेमी जिसका वास्तविक नाम कोलर था, खुश हुआ लेकिन उसके दोस्त ने मेज़ के आले से कविता का पुर्जा खोज कर मास्टर को सौंप दिया.
उस माचिस की तीली जैसे मास्टर ने कविता का पाठ कराया फ़िर कविता के पुर्जे को उसकी हथेली में रख कर पतले फुट्टे से तब तक मारा जब तक कि वह कागज पूरी तरह से फट न गया. मोटे आलू ने ऐसा धोखा क्यों किया ? मेरे पास इसका निश्चित उत्तर नहीं है. संभव है मोटे आलू को लगा हो कि सूखी भिन्डी की प्रेमिका उस मित्रता से उपजे साहस की देन है और उसका असली हकदार मोटा आलू यानि वह खुद ही है.
कहानी के अंत में यानोश कांदोलान्यी ने सूखी भिन्डी के बारे में सिर्फ़ इतना लिखा है कि उसकी आँखों के आगे गहरा काला पर्दा पड़ गया और उसे कहीं कोई नज़र नहीं आया, कोई नहीं. कहानी का आरम्भ इस पंक्ति से होता है. "जीवन की सबसे मूल्यवान वस्तु है मित्रता".