शैतान ने कई दिनों तक चाहा कि एक तमीजदार आदमी होने की जगह वह सब कुछ भूल जाए। वे सारे शुबहा जो उसे अक्सर रोकते थे मगर वह एक शैतान होने कि ज़िद में उन सब को किनारे करता हुआ रात की बाहों में सर्द अंगारे रख कर सो जाया करता था। उन सब बेतरतीब मगर ख़ूबसूरत रातों में एक हसीन दोशीजा के होने का अहसास साथ बना रहता था। हालांकि उसने कई बार इस बात पर शक़ जाहिर किया था कि तुम नहीं हो मगर उधर से आवाज़ आती कि मैं हूँ।
आज सुबह होने से पहले के पहर में एक ख्वाब देखा। ख्वाब क्या कहिए कि वह पहली नज़र में किसी हसरत की छाया सा कुछ था। याद के पहले हिस्से में जो बचा हुआ है उसमें लंबे पलंग पर शैतान की प्रेमिका अधलेटी थी। पेंट करने के लिए दो प्याले रखे थे। शैतान उन दो प्यालों में भरे हुये एक ही रंग को देख कर हैरान हो गया। उसने चाहा कि इस बात का खुलासा हो सके इसलिए शैतान की प्रेमिका को अपने हाथ में पकड़ी हुई कूची से कुछ रंग केनवास पर उतारने चाहिए। लेकिन उसने साफ मना कर दिया। उसके चहरे पर एक अजब उदासी का रंग था। यह कोई सलेटी जैसा रंग था। शैतान को याद आया कि क्या उसका प्रिय रंग सलेटी है?
शैतान की प्रेमिका ने एक निगाह डाल कर देखा कि वह यहाँ किस तरह पहुँच गयी है। उसकी अनमनी उदास आंखो को देख कर शैतान को ख़ुद पर गुस्सा आया कि उसने अपने मन की आवाज़ों को सुना क्यों नहीं? शैतान ने उससे कहा कि प्रेम कोई वस्तु नहीं है। इस बात पर शैतान की प्रेमिका शायद किसी और के बारे में सोचने लगी। शैतान ने उसे अपने ज़रा अधिक पास करते हुये उसके गाल चूम लिए मगर वे गाल भी उदास थे। ऐसे उदास जैसे किसी खोये हुये बच्चे के होते हैं। शैतान ने दोनों प्यालों को अपने हाथों में लिया और कहा- इनमें भरा हुआ रंग हम दोनों के बीच का है। शैतान की प्रेमिका ने कहा- मैंने तुमसे कभी प्यार नहीं किया। शैतान प्रेम करने के लिए नहीं होते हैं।
ख्वाब में करवट बदलते हुये शैतान ने पाया कि सुबह होने को है और मेरी प्रेमिका को जाना ही होगा। सर्द दिनों की इस सुबह में पसीने से भरा हुआ शैतान बिस्तर पर बैठा हुआ था। उसकी स्मृति के ख्वाब में प्रेमिका के वक्ष खुले थे मगर वह ख़ुद आत्मा तक नंगा हो चुका था। उसने घुटनों के बल बैठते हुये कहा- मैं कोई नहीं बस एक हसरत हूँ या तो बुझा दो या फिर जला दो मुझको.... शैतान की प्रेमिका किसी के खयाल में खोयी थी। उसके पास कुछ देने के लिए नहीं था।
उसने एक बार के लिए उदास खाली पड़े केनवास, कूची और रंग के प्यालों की तरफ देखा। शैतान ने उसे ऐसा देखते हुये देखने के बाद ख़ुद को हज़ार लानतें भेजी कि वह आदम होने की चाह में अपनी शैतानियत भी भूल जाता है। अगले पल सोचने को कुछ न था जिसे टूट कर चाहा था वह ख्वाब में भी अजनबी और भटके हुये मुसाफ़िर की तरह मिला।
शैतान ने ख़ुद से आखिरी सवाल पूछा कि वह मरता क्यों नहीं है। इसलिए कि शैतान मरने के लिए नहीं आया है भले ही वह अपने काम भूल कर करने लगा हो प्रेम।