सेना युद्ध के मैदान में लड़ रही हो और सेनापति अफीम के नशे में किसी का सहारा लिए आखिरी पंक्ति के पीछे कहीं पड़ा हो। घुड़सवारी सिखाने वाला प्रशिक्षक खुद घोड़े की पीठ में सुई चुभोता जाए। तैराकी सिखाने वाला गुरु खुद बीच भंवर में डूबता हुआ छटपटा रहा हो। ये कैसा होगा? मैं सप्ताह भर की प्रमुख खबरें सूँघता हूँ और मितली आने के डर से अखबार फेंक देना चाहता हूँ, टीवी को ऑफ कर देना चाहता हूँ। मेरी आत्मा पर बार बार चोट कर रही खबरों से घबराया हुआ, मैं सबसे मुंह फेर लेना चाहता हूँ। वैसे हम सबने मुंह फेर ही रखा है। हम सब सड़ी हुई आदर्श रहित जीवन शैली को अपनानाते जा रहे हैं। लालच और स्वार्थ ने हमारे मस्तिष्क का इस तरह अनुकूलन किया है कि हमने स्वीकार कर लिया है कि ऐसा होता रहता है। हम चुप भी हैं कि आगे भी ऐसा होता रहे। विडम्बना है कि नैतिकता और उच्च आदर्शों से भरे सुखी जीवन का पाठ पढ़ाने वाला खुद चरित्रहीनता के आरोप से घिर जाए। ये निंदनीय है। ये सोचनीय है। विवादास्पद प्रवचन करने वाले आसूमल सीरुमलानी उर्फ आसाराम पर एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न का आरोप है। जोधपुर के आश्रम में यौन उत्पीड़न क...
[रेगिस्तान के एक आम आदमी की डायरी]