सब खोए होंगे ख़यालों में

पूर्व प्रेयसियां भली थीं.

उन्होंने ब्रेकअप के बाद कहा कि वो मेरे पीछे था. उसने मेरे लिए क्या कुछ न किया. मैंने आखिरकार अपना सब कुछ सौंप दिया. वह बेवफ़ा निकला. मगर उन्होंने ये कभी न कहा कि वह अपनी बीवी से उकताया हुआ था. वह उसे पसंद नहीं करता था. इसलिए ही भली थी.

पूर्व प्रेमी भले नहीं थे.


उन्होंने सबकुछ नष्ट करके भी पीछा नहीं छोड़ा. वे मौसमी घास की तरह उग आते रहे. कभी-कभी बदतमीज भी थे. कभी रोते थे और रोने के बाद भूल जाते थे कि वे अभी-अभी रो रहे थे. वे हर बार उतना ही टूट कर प्रेम करते थे. मगर हर बार प्रेम करके भूल जाते थे. इसलिए ही शायद भले नहीं थे. 
* * *

बेवजह की बात एक बार ज़ेहन में आती है तो वहीँ अटक जाती है. जब तक उसे कह न दो, वह अटकी रहती है. जैसे हम अपने प्रेम की किसी निशानी को कहीं रख देते हैं और भूल नहीं पाते.

आज की रात चाँद खिला है. छत पर रोशनी है. दूर तक कुछ न कुछ दीखता है. मैं चारपाई पर अधलेटा. दो अलग ब्रांड की व्हिस्की को पीते हुए सोचता हूँ. उन लोगों का क्या होगा? वे जो अब प्रेम करेंगे. जाने क्या होगा मगर उनके लिए कुछ बेवजह की बातें

धोखा लगातार
प्रेम की टोह में रहता है।

पहले अंदेशे में
जो भाग नहीं पाते उनको
धोखा अपनी बाहों में भर लेता है।
* * *

धोखे के पास हर रंग होता है
वह घास में घास सा
छांव में छांव सा दिखता है।

प्रेम को रंग बदलना नहीं आता
इसलिए अक्सर मारा जाता है।
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धोखे की पूंछ लम्बी होती है
उसे सम्भलना होता है हर दांव में।

प्रेम की पूंछ बहुत छोटी होती है
प्रेम को दांव नहीं खेलना होता है।
* * *

धोखा देख सकता है
बेहद कम रोशनी में।

प्रेम कभी नहीं देखता, कुछ भी।
* * *

धोखा चुनता है
रास्ते और सही अवसर।

प्रेम खोया रहता है, जाने किस ख़याल में।
* * *

प्रेम का
मौसम आता है।

धोखा सदाबहार है।
* * *

हज़ार धोखे हैं।
मगर प्रेम लाख हैं।

ताकि चलता रहे कारोबार।
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रात के इस वक़्त कौन प्रेमी पढ़ रहा होगा कुछ. सब खोए होंगे ख़यालों में. दुआ कि सबको प्रेम मिले.



[Picture credit : Pragati Singh]

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