सर्द रात में बेहद ठंडे लिहाफ के भीतर शैतान पूछता है, अब चूम लें? लिहाफ में कोई नहीं होता शैतान के सिवा। उसकी पीठ के पीछे खड़ी कमसिन लड़की शाम ढलने से पहले जा चुकी होती है। शैतान जिसे अपनी प्रेमिका नहीं कह पाता। शैतान मुस्कुराता है उसके होने के लिए, उसका होना ज़रूरी नहीं है। * * * कितने बदन कितने अवसर कितनी जगहें थीं। शैतान को कुछ याद नहीं सिवा इसके कि उसने कहा था सब पूछ कर करोगे? जबकि शैतान कुछ न करता था न प्यार, न इंतज़ार। * * * कितने ही झूठ बोले कितने ही बहाने बनाये कितना ही यकीन दिलाया। मगर शैतान को कोई असर न था कि वह जानता था सबकी अपनी एक ज़िन्दगी होती है। वो ज़िन्दगी जिसमें किसी के साथ सोना गुनाह गिना जाता है। * * * अगर शैतान उसे कह देता अगर शैतान उससे पूछ लेता कि प्रेम के बारे में क्या ख़याल है? इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता न वह कह पाती, न शैतान उसका नाम पुकार पाता। * * * शैतान ने कहा हवस पर प्रेम का वर्क अच्छा नहीं होता इससे दोनों का लुत्फ़ मर जाता है। * * * काश कि वह अभी तक सोई न हो काश कि वह सोच रही हो कि शैतान से कभी न कहूंगी कि प्यार है। * * * शैतान की प्रेमिका कोई वैद्य ही होगी इसलिए कि...
[रेगिस्तान के एक आम आदमी की डायरी]