सितमगर कभी तेरा यूं देखना


कल की शाम बड़ी उदास आई. दिन भर के काम के बाद घर जाने की मोहलत न हुई. एक अरसे से प्ले बैक स्टूडियो में कूलिंग न थी और रात वहीं गुज़ारनी थी. आवाज़ का काम करो तो पंखे को बंद करना होता. ये भी तय था कि आज की शाम कोई प्याला कोई आइस क्यूब नहीं होना है. कुछ चीज़ें बहुत उकसाती है. जैसे तेज लाल मिर्च वाली तरी, बड़ी इलायची वाली खुशबू, अदरक के भुने हुए टुकड़े... मगर एक मग कॉफ़ी चाहिए शाम पांच बजे.

सात बजे अचानक से ठंडी हवा बहने लगती है. शीशे के पार से तकनिकी महकमे वाला एक कारिन्दा छत की ओर इशारा करता है. मैं ईश्वर की तरफ देखने के अंदाज़ में देखता और समझता हूँ कि कूलिंग सिस्टम ने काम करना शुरू कर दिया है. अचानक मालूम होता है कि एक घंटे का ब्रेक लिया जा सकता है. सब कुछ बदल जाता है. मैं बिना यकीन के फ़िल्म संगीत की प्ले लिस्ट चुनने लगता हूँ. प्रेम पुजारी, फूलों के रंग से...

रात बेहिसाब हसीन हो जाती है. ख़यालों के स्क्रीन पर चमकता रहता है एक चेहरा, चेहरा ज़िन्दगी का... जो कुछ पाने की तमन्ना है वह इसी खूबसूरत दुनिया से आई है, ख़ुदा के फरिश्तों ने उस दुनिया का जो नक्शा बताया है. वह बड़ा बोरियत से भरा है. इसलिए ये शैतान सिर्फ़ इसी दुनिया को प्यार करता है, इसी दुनिया के लोगों से...

दुनिया बनाने वाले का दावा था सब चीज़ों पर
मगर मुहब्बत की बात पर शैतान ने दे दिया, उसे धोखा
वह बेसलीका अनजान लोगों को उकसाता रहा.

बिना चाँद वाली रात के पहले पहर की बात है
शैतान पर नज़र रखते हुए
देवदूतों ने धरती की एक खिड़की में देखा झांक कर.

हज़ार बातें मचल रही थी लड़की के ज़ेहन में
वह मुड़ कर देखती थी शायद इतनी ही बार.

शैतान लिख रहा था अपनी डायरी में
कि कुदरत ने बनाया है तुमको गोरा और सुडौल
कि तुम पर टिक न सके किसी की नज़र.

दो सफ़ेद वनफूलों की शाखाएं टांग ली है तुमने कंधे पर
गरमी के दिनों को भूल जाने के लिए.
* * *
[Tasveer : Barmer shahar kii Chautahan road par ek subah kii hai.]

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