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वजह कुछ भी हो सकती थी


अच्छा क्या परेशां होते हो?

नहीं

क्यों?

इसलिए कि इतनी दूर से जब तुम अपना मन कहते हो. तब मुझे समझ आता है कि ये अभी की ज़रूरत है. इस वक़्त मुझे होना चाहिए. मैं चुपचाप लगातार सुनूँ.

क्यों?

कि ये लम्हा इसी लम्हे के लिए है. बाद में नहीं रहेगा.

अच्छा जो कुछ सुना कहा जाता है उससे बाद में रिग्रेट नहीं होता?

कभी कभी होता है कि आदमी औरत का मन ऐसा क्यूँ बनाया है. चाहनाएँ वन लताओं की तरह उलझी-उलझी क्यों उगती हैं.

इसलिए कि तुम सुलझाओ.

कबूतर के पंखों की आवाज़ आई. कबूतर जानबूझकर अपने पंखों को आपस में टकराकर बजाता है. इसलिए कि उसे लगता है कुछ गलत होने वाला है.

लड़के ने सोचा क्या गलत होगा. अब तक कितनी ही लड़कियां और अधेड़ होने को भागी जाती औरतों को वह जानता है. एक-एक के कितने कितने सम्मोहन. कितने-कितने रिश्ते. वे मानती नहीं थी. मगर उसने ख़ुद देखा है. वे संदेशे भेजकर छेड़ में लगी रहती थी.

एक रोज़ लड़की ने कहा- “ये ट्राय एंड एरर मेथड है. चाबी को हर ताले में ट्राय करो. जो खुल जाये सो अच्छा. इसी तरह तुम मेरे आस आये थे न?” वह भौंचक था. इसलिए नहीं कि ये बात सच थी. उसके पास तो बीसियों न्योते रखे होते. इत्ते साफ कि कहो तो मर जाएँ. उन न्योतों पर ही ही ही का वर्क लगा होता था. ये वर्क इसलिए होता कि अपनी असल चाहना को हंसी से कुछ अलग रंग दिया जाये.

लड़की का पहला सवाल था- “मुझसे पहले कितनी थी?”

जवाब में लड़के ने कहा- “तुम बीसवीं हो?”

इसके बाद लड़की ने बीसियों के बारे में जानना चाहा. किन्तु लड़का केवल दो के बारे में बातें किया करता था. दो के बारे में बताने के पीछे एक कारण ये हो सकता था कि लड़का एक निर्लज्ज कामी व्यक्ति कहलाने की जगह थोडा ख़राब प्रेमी सा कहलाये. एक और वजह हो सकती थी कि वास्तव में ऐसा कुछ कभी हुआ ही न हो. 
* * *

अचानक एक शाम लड़के का फोन गिर गया. उस फोन पर बहुत से स्क्रेच आ गये. उसने थके मन से फोन को उठाया. वह वास्तव में कुछ महीनों से फोन को बदल लेना चाहता था. उसने सोचा कि फोन के स्क्रीन पर आखिरी बार अंगुली घुमाए. लेकिन उसने ऐसा किया नहीं.

रात हो चुकी थी. सड़क पर कम लोग थे. 
* * *

एक कठिन मौसम होता है घर से भाग जाने का लेकिन ख़ुद से दूर भाग जाने का मौसम सबसे कड़ा होता है.
* * *

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