एकान्त एक निर्जन अथवा सूना स्थान है? अथवा शांत या शोरगुल रहित ऐसा स्थान जहाँ कोई न हो। क्या इसके आस-पास अकेलापन, तन्हाई, निर्जनता, सूनापन जैसे अलग शब्दों को रखा जा सकता है?
इस समय मेरे आस-पास कोई व्यक्ति नहीं है। जिस स्थान पर मैं हूँ उसके दायरे से बाहर ही कोई व्यक्ति है। किंतु इसे एकान्त कैसे कह सकता हूँ। ये सब कितना भरा पूरा है।
मोगरा पर कमसिन कलियां हैं। वे झुक-उठकर झांक रही हैं। मोगरा के पुष्प अपनी सुगंध के मादक जाल के तंतुओं को बुनते जा रहे हैं। मधुमालती के गुच्छों से वनैली गंध आ रही है। चिड़िया के थोड़े जल्दी आ गए कुछ बच्चे हैं। गिलहरियों के दो बच्चे भी हैरत भरी खोज में लगे हैं।
मुझे भाषा और शब्दों का ज्ञान कम है। मैंने कभी गम्भीरता से व्याकरण पढ़ा नहीं। मुझे केवल कहानियां और रोचक गद्य पढ़ना ही लुभाता रहा। ये याद करता हूँ तो लगता है कि एकान्त वह था जब मैं शब्दों में खोया हुआ था। मैं भूल चुका था कि बाहर के संसार में क्या हो रहा है?
सम्भव है एकान्त वह है, जहां आप सबसे अलग किसी ऐसे अंत तक पहुंचें जहां केवल आप रह जाएं। इसमें अगर कोई अन्य उपस्थित है और वह एक ही है तो ये एकान्त समर्पण है। आप और वह दोनों मिलकर एकान्त रच जी रहे हैं।
जैसे कोई स्मृति मोगरा की सुगंध से जाग उठती है और उसके बाद आप उस स्मृति से सम्पन्न होकर मोगरा सुगंध को भूल जाते हैं, वह आपका एकान्त समपर्ण है।
किन्तु एकान्त क्या है। अपने भीतर सिमट आना या कुछ और?