Skip to main content

माँ है




गिलहरी के दो छोटे बच्चे एक साथ दिखे। अचानक तीसरा दिखाई दिया। मैं उसे देखने लगा। मैंने अब तक तीन बच्चे एक साथ न देखे थे। मैं मुस्कुराया।

उनके खाने लिए दालें, गेंहूँ और बीज रखे रहते हैं। ये गेहूँ और दाल बीनने के बीच बचे हुए या बचाये हुए होते हैं।फलों को खाने पर गुठलियां और बीज ऐसे रख दिये जाते हैं कि गिलहरियां इनको कुतर सके।

गिलहरियां और चिड़ियाँ एक उदास चलचित्र में सजीवता भरती है। उनके उछलने, कूदने, दौड़ने, कुतरने और कलरव से हम कहीं खोये होने से बाहर आते हैं। हम पाते हैं कि जीवन चल रहा।


नन्हे बच्चे जिज्ञासु होते हैं। वे पास चले आते हैं। थोड़ा झिझकते हैं फिर भाग जाते हैं। आलू पपड़ी इनको बहुत प्रिय है। मेरे बच्चे मशीनों से पैक होकर आई हुई खाते हैं। वे गिलहरियों के लिए शायद उतनी मज़ेदार भी न हों। थोड़ी मोटी हाथ से बनी आलू पपड़ी को कुतरने का स्वाद उनकी तन्मयता में पढ़ा जा सकता है।

तीन बच्चों को देखते हुए मैं अचानक चिंतित हुआ। उनकी माँ नहीं दिख रही थी। जबकि सबसे पहले वही दिखा करती थी। मुझे एक और चिंता हुई तो मैं बाहर दरवाज़े की ओर देखने लगा। दरवाज़ा खोलकर माँ खड़ी हुई थी।

माँ को हमेशा होना चाहिए। माँ लोहे के जाल पर छाई वनलता है। वह मधुमालती की मादक वनैली गन्ध है। वह पैरों के नीचे की ज़मीन है, जिस पर हम खड़े हैं। वह दरवाज़े पर नज़र लगाए चौकीदार है। वह एक भरोसा है कि घर पर माँ है तो सब हैं।

दीवार पर दौड़ हुई तो मेरा ध्यान फिर उधर गया। बच्चों की अम्मा आ चुकी थी। उसने एक बच्चे को गिरफ़्तार कर लिया था। वह उसकी गर्दन, पीठ और कान सहित पूरे बदन से कुछ चुन रही थी। उसके दांत किसी काम में लगे थे। बच्चा सरेंडर किए हुए था लेकिन शायद वह भी जल्द इससे मुक्त होकर अपराजिता और अमृता के पत्तों के बीच दौड़ लगाने को आतुर था।

मैंने अख़बार एक ओर रखा। दरवाज़े पर खड़ी माँ की तस्वीर खींची। मैं मोबाइल में देर तक देखता रहा कि माँ खड़ी है। गली सूनी है। लताएं प्रेम से उलझी बढ़ी जा रही हैं। जीवन सुंदर है। माँ है।

Popular posts from this blog

स्वर्ग से निष्कासित

शैतान प्रतिनायक है, एंटी हीरो।  सनातनी कथाओं से लेकर पश्चिमी की धार्मिक कथाओं और कालांतर में श्रेष्ठ साहित्य कही जाने वाली रचनाओं में अमर है। उसकी अमरता सामाजिक निषेधों की असफलता के कारण है।  व्यक्ति के जीवन को उसकी इच्छाओं का दमन करके एक सांचे में फिट करने का काम अप्राकृतिक है। मन और उसकी चाहना प्राकृतिक है। इस पर पहरा बिठाने के सामाजिक आदेश कृत्रिम हैं। जो कुछ भी प्रकृति के विरुद्ध है, उसका नष्ट होना अवश्यंभावी है।  यही शैतान का प्राणतत्व है।  जॉन मिल्टन के पैराडाइज़ लॉस्ट और ज्योफ्री चौसर की द कैंटरबरी टेल्स से लेकर उन सभी कथाओं में शैतान है, जो स्वर्ग और नरक की अवधारणा को कहते हैं।  शैतान अच्छा नहीं था इसलिए उसे स्वर्ग से पृथ्वी की ओर धकेल दिया गया। इस से इतना तय हुआ कि पृथ्वी स्वर्ग से निम्न स्थान था। वह पृथ्वी जिसके लोगों ने स्वर्ग की कल्पना की थी। स्वर्ग जिसने तय किया कि पृथ्वी शैतानों के रहने के लिए है। अन्यथा शैतान को किसी और ग्रह की ओर धकेल दिया जाता। या फिर स्वर्ग के अधिकारी पृथ्वी वासियों को दंडित करना चाहते थे कि आखिर उन्होंने स्वर्ग की कल्पना ही क्य...

टूटी हुई बिखरी हुई

हाउ फार इज फार और ब्रोकन एंड स्पिल्ड आउट दोनों प्राचीन कहन हैं। पहली दार्शनिकों और तर्क करने वालों को जितनी प्रिय है, उतनी ही कवियों और कथाकारों को भाती रही है। दूसरी कहन नष्ट हो चुकने के बाद बचे रहे भाव या अनुभूति को कहती है।  टूटी हुई बिखरी हुई शमशेर बहादुर सिंह जी की प्रसिद्ध कविता है। शमशेर बहादुर सिंह उर्दू और फारसी के विद्यार्थी थे आगे चलकर उन्होंने हिंदी पढ़ी थी। प्रगतिशील कविता के स्तंभ माने जाते हैं। उनकी छंदमुक्त कविता में मारक बिंब उपस्थित रहते हैं। प्रेम की कविता द्वारा अभिव्यक्ति में उनका सानी कोई नहीं है। कि वे अपनी विशिष्ट, सूक्ष्म रचनाधर्मिता से कम शब्दों में समूची बात समेट देते हैं।  इसी शीर्षक से इरफ़ान जी का ब्लॉग भी है। पता नहीं शमशेर उनको प्रिय रहे हैं या उन्होंने किसी और कारण से अपने ब्लॉग का शीर्षक ये चुना है।  पहले मानव कौल की किताब आई बहुत दूर कितना दूर होता है। अब उनकी नई किताब आ गई है, टूटी हुई बिखरी हुई। ये एक उपन्यास है। वैसे मानव कौल के एक उपन्यास का शीर्षक तितली है। जयशंकर प्रसाद जी के दूसरे उपन्यास का शीर्षक भी तितली था। ब्रोकन ...

लड़की, जिसकी मैंने हत्या की

उसका नाम चेन्नमा था. उसके माता पिता ने उसे बसवी बना कर छोड़ दिया था. बसवी माने भगवान के नाम पर पुरुषों की सेवा के लिए जीवन का समर्पण. चेनम्मा के माता पिता जमींदार ब्राह्मण थे. सात-आठ साल पहले वह बीमार हो गयी तो उन्होंने अपने कुल देवता से आग्रह किया था कि वे इस अबोध बालिका को भला चंगा कर दें तो वे उसे बसवी बना देंगे. ऐसा ही हुआ. फिर उस कुलीन ब्राह्मण के घर जब कोई मेहमान आता तो उसकी सेवा करना बसवी का सौभाग्य होता. इससे ईश्वर प्रसन्न हो जाते थे. नागवल्ली गाँव के ब्राह्मण करियप्पा के घर जब मैं पहुंचा तब मैंने उसे पहली बार देखा था. उस लड़की के बारे में बहुत संक्षेप में बताता हूँ कि उसका रंग गेंहुआ था. मुख देखने में सुंदर. भरी जवानी में गदराया हुआ शरीर. जब भी मैं देखता उसके होठों पर एक स्वाभाविक मुस्कान पाता. आँखों में बचपन की अल्हड़ता की चमक बाकी थी. दिन भर घूम फिर लेने के बाद रात के भोजन के पश्चात वह कमरे में आई और उसने मद्धम रौशनी वाली लालटेन की लौ को और कम कर दिया. वह बिस्तर पर मेरे पास आकार बैठ गयी. मैंने थूक निगलते हुए कहा ये गलत है. वह निर्दोष और नजदीक चली आई. फिर उसी न...