||तुम्हारे इंतज़ार से भरी सुबहें||
कुर्सी पर सूखे पत्ते पड़े होते
कोई फूल टूटकर पत्तों के आस पास गिरता।
सुबह की हवा में
नीम नींद से भीगा हुआ मैं अलसाया
एक मोढ़े में दुबका रहता।
कभी-कभी मुझे लगता
कि तुमने मेरे पैरों पर चादर डाल दी है।
मैं हड़बड़ा कर उठता
कि तुम चले तो न जाओगे।
हवा के झौंके के साथ सब पत्ते बिखर जाते।