रेत में पड़ी नाव में बैठकर दूर तक की यात्रा की जा सकती है। मैं बेसब्र अक्सर नाव में खड़ा भी हो जाता हूँ कि अब कितना दूर है। अचानक नाव, दीवार से टकरा कर रुक जाती है। वह अधीर दौड़ती हुई अपनी खिड़की के पास आ रही होती है, जहां मेरी नाव रुक गयी है।
डॉक्टर ने पूछा कितनी यात्राएं कर चुके हो।
मैंने इनकार में सर हिलाया। मेरे बालों से झड़ती बालू रेत से डॉक्टर की मेज़ ढक गयी। वह रेत में डूबता जा रहा था कि मैंने उसे अपनी नाव में बिठा लिया।
बदहवास डॉक्टर को होश आया तो उसने पूछा कि ये नाव कहाँ कहाँ जा सकती है।
मैंने कहा- "ये कहीं भी जा सकती है अगर तुम प्रेम करते हो।"