एक ही ख़त में सारा कुछ लिखने की ज़रूरत नहीं है।
~ मानव कौल
पिछली गर्मियों में हिंदयुग्म के दफ़्तर से ये उपन्यास ले आया था। किताबें आधी आधी बंट जाती हैं। कुछ जयपुर और कुछ बाड़मेर वाले घर के हिस्से आती हैं। कि कहीं भी रहो, फुरसत में कुछ पढ़ सको।
मानव को पढ़ना एक अलग अनुभूति है। वैसे हर लेखक की भाषा और कथानक के अलग जींस होते हैं। किंतु कुछ के हमारे मन से मिलते हैं।
मानव की कहानियां जिसने पढ़ी हैं और भली लगी। उनके लिए ये एक सुंदर उपन्यास है। प्रेम कबूतर कहानी कैशोर्य के प्रेम की सरलता को कहती है। उससे आगे इस कथा के किशोरवय पात्र जीवन की कठोरता से दो चार होते हैं। वे माँ, पिता, नाना, नानी के होने को एक सम्बंध से आगे मनुष्य के रूप में पहचानने लगते हैं। ये सुंदर बात है।